उत्तर प्रदेश में बीते दिनों कई शहरों में गंगा में बड़ी संख्या में शव बहते हुए मिले। उन्नाव से लेकर ग़ाज़ीपुर और चंदौली से वाराणसी और भदोही सहित कई जगहों के फ़ोटो और वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो यूपी सरकार की ख़ासी किरकिरी हुई। इसके बाद प्रशासन चेता और इन शवों को गंगा से निकालकर दफ़नाया गया। गंगा किनारे शव मिलने की पहली घटना बिहार के बक्सर में हुई थी।
लेकिन जितनी बड़ी संख्या में शव गंगा के किनारे मिले हैं और उन्हें दफ़नाए जाने की संख्या कुछ स्थानीय लोगों के हवाले से सामने आ रही है, उससे यही लगता है कि इन शवों का जो आंकड़ा सरकार बता रही है, यह उससे कहीं ज़्यादा है और इसे घटाकर या कम करके बताया जा रहा है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हो पा रही है कि दफ़नाए गए शवों का आंकड़ा कितना रहा होगा।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा किनारे स्थित श्रृंगवेरपुर धाम का एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो समाचार चैनल न्यूज़ 18 का है। इसमें बताया गया है कि यहां 6-7 फुट गड्ढे खोदकर इनमें शवों को डाला गया है। गड्ढों को भरकर इनके बाहर से कपड़े और लकड़ियां लगा दी गई हैं।
इस वीडियो में एक स्थानीय शख़्स कहते हैं कि बीते 10-15 दिनों में 4 से 5 हज़ार शव घाट में आ चुके हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
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'दैनिक भास्कर' ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यूपी के 27 ज़िलों में गंगा किनारे 2 हज़ार से ज़्यादा शव मिले हैं। ये शव गंगा किनारे कहीं पानी में तैरते मिले तो कहीं रेतों में दफनाए हुए। अख़बार ने यह बात अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर कही है। अख़बार के 30 रिपोर्टरों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, ग़ाज़ीपुर, बलिया के अलावा बदांयू, शाहजहांपुर सहित कई शहरों के गंगा किनारे बने घाटों और गांवों का जायजा लिया।
संस्कार का सामान हुआ महंगा
गंगा किनारे बसे कई लोगों का इस बारे में कहना है कि अंतिम संस्कार में लगने वाला सामान काफी महंगा हो गया है। एक व्यक्ति के संस्कार में कम से कम 10 हज़ार का ख़र्च आता है। इसके अलावा श्मशान घाटों पर इन दिनों कोरोना संक्रमितों की मौतों के कारण लंबी लाइन लग रही है। श्मशान घाट में इन दिनों लकड़ियों की भी बहुत कमी हो गई है। ऐसे में ख़र्च, लाइन और बाक़ी मुश्किलों से बचने के लिए कई लोग शवों को दफना दे रहे हैं।
ग़ाज़ीपुर के बारा और गहमर के ग्रामीणों ने ‘द टेलीग्राफ़’ को बताया कि कोरोना संक्रमण के डर से यहां के लोग शवों को नदी में बहा दे रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया में इस मामले के तूल पकड़ने के बाद इन शवों को नदी से निकालकर दफ़नाया जा रहा है। बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी गंगा किनारे शवों को मिलने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के अफ़सर आमने-सामने आ गए थे। इन दोनों राज्यों का कहना था कि उनके राज्य में शव बाहर से बहकर आए हैं।
घाटों पर सख़्त पहरा
लेकिन अब उत्तर प्रदेश में सरकार ने घाटों के बाहर सख़्त पहरा कर दिया है कि कोई भी शख़्स न तो शवों को गंगा में बहा पाए और न ही कोई शख़्स इन्हें दफ़ना पाए। क्योंकि ग्रामीणों ने शिकायत की है कि ऐसा करने से नदी का पानी प्रदूषित हो सकता है और गंदगी फैलने का डर है।
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में क्या कोरोना संक्रमण के सिर्फ़ 20 हज़ार के आसपास ही मामले आ रहे होंगे, उसी तरह मरने वालों का आंकड़ा भी 500 के आसपास है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गांवों में भयंकर संक्रमण फैला हुआ है और सैकड़ों लोग इलाज न मिलने के चलते जान गंवा चुके हैं।
ग्रामीण कहते हैं कि मरने वाले लोगों में कोरोना जैसे लक्षण थे। कोरोना संक्रमण फैलने का डर भी एक बड़ी वजह है, जिससे लोग शवों के अंतिम संस्कार से बच रहे हैं और घाटों पर जाकर इन्हें दफ़नाने के लिए दे देते हैं।
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