फ़िरोज़ ख़ान को आख़िरकार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान में संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर का पद छोड़ना पड़ा। साफ़-साफ़ कहें तो फ़िरोज़ ख़ान को इस्तीफ़ा देना पड़ा। इसकी घोषणा भी फ़िरोज़ ने नहीं, बल्कि बीएचयू प्रशासन ने की। वही बीएचयू प्रशासन जिसने फ़िरोज़ को नियुक्त किया था और कहा था कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह नियमानुसार है और वह इस पद के लिए सबसे योग्य हैं। वह बीएचयू प्रशासन जिसके कुलपति ने ही उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई थी। और यह वही बीएचयू प्रशासन है जो पहले कह रहा था कि फ़िरोज़ की नियुक्ति का विरोध करने वाले ग़लत कर रहे हैं। कई छात्र फ़िरोज़ के मुसलिम होने के कारण संस्कृत प्रोफ़ेसर बनाए जाने का क़रीब एक महीने से विरोध कर रहे थे। और बीएचयू प्रशासन की इस घोषणा के बाद विरोध करने वाले छात्रों ने मिठाइयाँ बाँट कर खुशियाँ मनाईं। क्या इन छात्रों द्वारा मिठाइयाँ बाँटकर खुशियाँ मनाना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए कोई संदेश है?