बलिया में दिनदहाड़े हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले अभियुक्त के समर्थन में खुलकर खड़े होने वाले बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह के कारण पार्टी की खासी फजीहत हो चुकी है। इस मामले में विपक्षी दलों द्वारा योगी सरकार पर चौतरफ़ा हमले के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधायक के बयानों को लेकर नाराज़गी जताई है।
बता दें कि बीजेपी के नेता धीरेंद्र सिंह ने योगी सरकार के आला अफ़सरों और पुलिस महकमे की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में दिन-दहाड़े एक शख़्स की हत्या कर दी थी और फरार हो गया था।
सूत्रों के मुताबिक़, नड्डा ने विधायक सुरेंद्र सिंह की बयानबाज़ी को लेकर सफ़ाई मांगी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को सुरेंद्र सिंह के आचरण को लेकर चेताया है। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि नड्डा घटना के चार-पांच दिन बाद इस मामले में क्यों सक्रिय हुए। जबकि इस पर बवाल घटना के अगले दिन से ही तब शुरू हो गया था जब सुरेंद्र सिंह ने मीडिया के कैमरे पर कहा था कि वे धीरेंद्र सिंह के साथ खड़े हैं।
सुरेंद्र सिंह ने कहा था कि इस मामले में प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई न्याय का गला घोट रही है। उन्होंने कहा था कि बीजेपी नेता धीरेन्द्र सिंह अगर आत्मरक्षा में गोली नहीं चलाता तो उसके परिवार जनों सहित दर्जनों लोग मारे जाते।
अभियुक्त की खुलकर हिमायत करते हुए सुरेंद्र सिंह ने कहा था कि लाठी-डंडे से वार करने वाले और गोली मारने वाले, दोनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। सुरेंद्र सिंह ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उसे दूसरे पक्ष को भी न्याय देना चाहिए।
विधायक ने अपनी ही सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वे एक हफ़्ते का वक़्त दे रहे हैं और अगर दूसरे पक्ष पर एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई तो वे हज़ारों लोगों के साथ पुलिस थाने को घेर लेंगे। विधायक के मुताबिक़, इस तरह की घटना कहीं भी हो सकती है और अभियुक्त के पास मरने और मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
ख़ैर, जब नड्डा नाराज हुए तो उन्होंने स्वतंत्र देव सिंह से कहा कि वह सुरेंद्र सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी करें और उन्हें जांच में किसी तरह की दख़लअंदाजी न करने की चेतावनी दें। इसके बाद स्वतंत्र देव सिंह ने सुरेंद्र सिंह को नोटिस जारी कर दिया।
नड्डा द्वारा इतने दिन बाद इस मामले में संज्ञान लेने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं और अगर वह वास्तव में नाराज़ हैं तो हत्या अभियुक्त का समर्थन करने वाले बीजेपी विधायक पर ठोस कार्रवाई होती हुई दिखनी भी चाहिए।
कुछ ऐसा ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे के मामले में हुआ था। उनके विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय ने पिछले साल नगर निगम के एक मुलाजिम की क्रिकेट बैट से पिटाई की थी। इसका वीडियो ख़ासा वायरल हुआ था। इस मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश विजयवर्गीय के बर्ताव पर नाराज़गी जताई थी।
पुलिस पर सवाल
धीरेंद्र सिंह के मामले में स्थानीय पुलिस सवालों के घेरे में है क्योंकि घटना के सामने आए वीडियो में दिख रहा था कि उसे छह-सात पुलिसकर्मियों ने घेरा हुआ है। अगले दिन पुलिस ने कहा कि वह फरार हो गया है। तीन दिन बाद लखनऊ पहुंचते वक्त उसे गिरफ़्तार कर लिया गया।
क्या पुलिस ने उसके भागने के बाद बलिया और उसके आस-पास के जिलों के बॉर्डर को सील नहीं किया था। अगर किया होता तो उसे पकड़ने में 24 घंटे से ज़्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए था।
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