बदायूं में दो बच्चों की बेरहमी से हत्या और पुलिस एनकाउंटर में साजिद के मारे जाने के बाद शहर में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। इस मुद्दे पर सपा लगातार भाजपा को निशाने पर ले रही है। इसकी वजह यह है कि इस घटना के बाद बदायूं में लोग समूहों में निकल आए और उन्होंने आरोपी साजिद के सैलून सहित कुछ दुकानों में आग लगा दी। पुलिस ने बदायूं में बुधवार सुबह फ्लैग मार्च भी किया। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि भाजपा हमेशा चुनाव के समय हिंसा कराती है। समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि अब जब आरोपी मुठभेड़ में मारा गया है तो मामले का खुलासा होने का कोई रास्ता नहीं है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर पुलिस शुरू से ही काम करती तो दोनों नाबालिगों को बचाया जा सकता था।
समाजवादी पार्टी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ''बीजेपी यूपी में दंगे और सांप्रदायिक तनाव पैदा करके चुनाव जीतना चाहती है और इसीलिए वह खुद ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रही है और जिलों में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रही है, जिसका नतीजा आज की घटना है।'
सपा ने कहा- "जब बीजेपी जनता के असली मुद्दों पर हार गई है तो धार्मिक विवाद, धार्मिक लड़ाई ही बीजेपी के लिए आखिरी हथियार बचा है। बीजेपी के इशारे पर कई गुंडे-बदमाश खुलेआम घूम रहे हैं और इस वजह से ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। समाज में झगड़े बढ़ रहे हैं।"
बदायूं में क्या हुआ, अब तक का घटनाक्रम
बदायूं पुलिस के मुताबिक शहर में सैलून चलाने वाले साजिद और उसका भाई जावेद मंगलवार शाम विनोद कुमार के घर गए और कुमार की पत्नी संगीता से ₹5,000 मांगे। स्थानीय निवासी होने के कारण वे एक-दूसरे को जानते थे। साजिद ने कहा कि उसे अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए पैसों की जरूरत है। जब संगीता पैसे लेने अंदर गई तो साजिद छत पर गया और नाबालिग बेटों को वहां बुला लिया। उसने एक तेज चाकू निकालकर दो लड़कों का गला काट दिया और तीसरे पर हमला कर दिया, जिसकी हालत अस्पताल ले जाने के बाद स्थिर बताई जा रही है। एफआईआर में दावा किया गया है कि नाबालिगों की हत्या करने के बाद साजिद ने कहा, "मैंने आज अपना काम कर दिया है।"
दो नाबालिगों की कथित तौर पर हत्या करने के बाद साजिद ने मौके से भागने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने उसे घेर लिया। जब पुलिस टीमों को कार्रवाई में लगाया गया तब भी वह भागने में सफल रहा और पीछा करने के दौरान, साजिद ने कथित तौर पर पुलिस पर गोलीबारी की और फिर जवाबी गोलीबारी में मारा गया। जावेद फरार है।
पुलिस ने बुधवार को साजिद के पिता और चाचा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। क्षेत्र में किसी भी सांप्रदायिक भड़क को रोकने के लिए बाबा कॉलोनी में भारी पुलिस सुरक्षा तैनात की गई है। घटना के बाद बदायूं के भाजपा नेताओं ने शहर में उत्तेजक भाषण दिए।
दोनों बच्चों के मारे जाने, भीड़ द्वारा उन्हें पकड़े जाने और इसी दौरान पुलिस के आते ही एनकाउंटर होने में जो समय लगा है, उसे लेकर सवाल हो रहे हैं कि क्या साजिद को जिन्दा पकड़ा जा सकता था। जब साजिद ने धारदार हथियार से बच्चों की हत्या की तो उसके पास पुलिस पर फायरिंग का हथियार कैसे आया, क्या पुलिस वालों को भी कोई गोली लगी है। कुल मिलाकर उसके मारे जाने से अहम सबूत नष्ट हो गया। अगर उसे जिन्दा पकड़ा जाता तो हत्या का मकसद पता चल जाता। सपा ने यही मुद्दा उठाया है कि जिस व्यक्ति को जिन्दा पकड़ा जा सकता था, उसे एनकाउंटर में मार दिया गया।
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