घृणा और धार्मिक भावना भड़काने वाला बयान देने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के विधायक आज़म खान की सज़ा का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर दूरगामी परिणाम पड़ सकता है। एक तरफ़ बीजेपी के नेताओं का मानना है कि अब बड़बोले नेताओं को ज़ुबान पर लगाम देना पड़ेगा, तो दूसरी तरफ़ समाजवादी पार्टी के नेता मानते हैं कि इस तरह की सज़ा विपक्षी नेताओं की आवाज़ बंद करने का एक नया हथकंडा है। क्या सचमुच अब बेलगाम बोलने वाले नेता सुधर जायेंगे? क्या चुनावों के समय धार्मिक नफ़रत फैलाने वाले बयानों से मुक्ति मिल जाएगी?
आज़म को सज़ा से सुधर जाएगी उत्तर प्रदेश की राजनीति?
- उत्तर प्रदेश
- |
- |
- 31 Oct, 2022

सपा नेता आजम ख़ान पर ताज़ा कार्रवाई क्यों? सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान को जेल की सजा सुनाए जाने के बाद क्या अब सबकुछ बदल जाएगा?
आज़म खान अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिनके बयानों पर लगातार आपत्ति की जाती रही है। बीजेपी के नेता संगीत सोम के बयान भी कम नफ़रती नहीं होते हैं। बीजेपी की ही प्रज्ञा ठाकुर एक धर्म के ख़िलाफ़ आग उगलने के लिए जानी जाती हैं। हैदराबाद के ओवैसी उत्तर प्रदेश में जड़ें ज़माने के लिए भड़काऊ भाषणों से परहेज़ नहीं करते। देश भर में ऐसे नेताओं की भरमार है जो धार्मिक भावना भड़काने और समाज में घृणा फैलाने वाले भाषण देते हैं। आज़म पर आए फ़ैसले का असर उन पर होगा या नहीं।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक