उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि उसने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत का पुरजोर विरोध किया था। प्रदेश सरकार ने यह बात लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मारे गए किसानों के परिवारों के आरोपों के जवाब में कही है। किसानों के परिवारों ने कहा था कि प्रदेश सरकार ने आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा होने दिया और गवाहों को सुरक्षा नहीं दी।
आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जमानत मिलने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
इस याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है। प्रदेश सरकार ने कहा है कि आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील करने के फैसले पर अभी विचार चल रहा है।
इस मामले में पीड़ित परिवारों की ओर से दायर याचिका पर चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच बुधवार को सुनवाई करेगी।
याचिका में आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट के द्वारा दी गई जमानत को रद्द किए जाने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया गया है। 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और आशीष मिश्रा से जवाब मांगा था और पूछा था कि इस जमानत को रद्द क्यों न कर दिया जाए। शीर्ष अदालत ने गवाह पर हमले को लेकर भी चिंता जताई थी।
हमले के आरोपों को किया खारिज
प्रदेश सरकार ने इस मामले के गवाह पर हमला किए जाने के आरोपों को भी खारिज किया और कहा कि गवाह पर हमला होली पर रंग फेकने के दौरान एक आपसी विवाद की वजह से हुआ था। राज्य सरकार ने कहा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के पीड़ित परिवारों के सदस्यों और गवाहों को लगातार सुरक्षा दी जा रही है।राज्य सरकार ने गवाहों को हथियारबंद गनर दिए हैं और उनकी सुरक्षा की लगातार समीक्षा की जा रही है।
लखीमपुर खीरी की घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी। इन में से 4 किसान भी थे। किसानों के साथ ही बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा, श्याम सुंदर निषाद और हरि ओम मिश्रा की भीड़ ने जान ले ली थी। एक पत्रकार की भी मौत इस घटना में हुई थी।
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