अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक छात्र ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करने के कारण विवि ने उससे डिग्री वापस करने को कहा है। छात्र ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी गुहार लगाई है। लेकिन एएमयू प्रशासन ने छात्र के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
छात्र का नाम दानिश रहीम है और उसने मीडिया के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी। दानिश ने इस बारे में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है और उनसे दख़ल देने की मांग की है।
दानिश का कहना है कि एमएमयू ने उससे भाषा विज्ञान की डिग्री वापस करने को कहा है और कहा है कि वह इसके बजाए लैंग्वेज़ ऑफ़ मार्केटिंग एंड एडवरटाइजिंग (एलएएम) की डिग्री ले जाएं।
दानिश का कहना है कि यह घटना पिछले साल 22 दिसंबर की है जब प्रधानमंत्री ने विश्वविद्यालय के 200 वें स्थापना दिवस पर वर्चुअली एक भाषण दिया था। इसके बाद उसने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए उनकी तारीफ़ की थी।
दानिश ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि तारीफ़ करने के बाद भाषा विज्ञान विभाग के चेयरमैन ने उसे बुलाया और चेताया कि उसे प्रधानमंत्री की तारीफ़ नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह एएमयू की संस्कृति के ख़िलाफ़ है और उसके मीडिया में दिए बयान को देखकर ऐसा लगता है कि वह किसी दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़ा है।
लेकिन दानिश के आरोपों पर एएमयू के प्रवक्ता और प्रोफ़ेसर शाफ़ी किदवई ने कहा है कि दानिश ने एमए और पीएचडी भाषा विज्ञान विभाग से लैंग्वेज ऑफ़ मार्केटिंग एंड एडवरटाइजिंग (एलएएम) में की थी। भाषा विज्ञान विभाग भाषा विज्ञान में भी पीएचडी की डिग्री देता है।
‘आरोपों में सच्चाई नहीं’
शाफ़ी किदवई ने कहा कि चूंकि रहीम ने एमए एलएएम में किया है इसलिए उन्हें पीचएडी की डिग्री भी एलएएम में ही मिलनी चाहिए। लेकिन ग़लती ये हो गयी कि रहीम को पीएचडी की डिग्री भाषा विज्ञान में दे दी गई।
उन्होंने कहा कि इस ग़लती को सुधारा जाएगा और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि दानिश के आरोपों में 1 फ़ीसदी भी सच्चाई नहीं है।
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