उत्तर प्रदेश में तीन चरणों का चुनाव बीतने के साथ और भारतीय जनता पार्टी के सामने दिखी चुनौतियों के मद्देनज़र अब पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश में सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटों वाले सूबे की कमान अपने हाथों में ले ली है। नाराज क्षत्रिय नेताओं को मनाना हो, पार्टी में शामिल कराना हो या फिर सीट वार दिक्कतें खड़ी कर रहे लोगों को समझा-बुझा कर पटरी पर लाना हो, अमित शाह इन सब पर जुट गए हैं। कई सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व में घोषित प्रत्याशियों में बदलाव से लेकर आकाश आनंद के आक्रामक प्रचार अभियान पर लगाम लगाने को शाह की रणनीति की सफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है। इतना ही नहीं, कई लोकसभा सीटों पर अपने की प्रत्याशियों के प्रचार को लेकर उदासीन या अंदरखाने विरोध कर रहे पार्टी विधायकों को भी तगड़ी घुट्टी पिलाते हुए उन्हें हर हाल में जीत सुनिश्चित करने को कहा गया है।
यूपी में फिर शाह को कमान क्यों संभालनी पड़ी, क्षत्रपों को साधने में जुटे?
- उत्तर प्रदेश
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- 14 May, 2024

क्या उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था और इस वजह से पार्टी के रणनीतिकार अमित शाह को कमान संभालना पड़ा? जानिए, आख़िर वह यूपी की राजनीति में क्या तिकड़म अपना रहे हैं।
राजा भैय्या को चार्टर्ड प्लेन से बंगलौर बुलाकर समझाया
बीते कई सालों से भाजपा का हर मौक़े पर साथ दे रहे उत्तर प्रदेश के कद्दवार क्षत्रिय नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या इस लोकसभा चुनाव में अब तक शांत बैठे थे। कहा जा रहा था कि पहले राजा भैय्या अपनी पार्टी जनसत्ता दल के लिए एक-दो लोकसभा सीटों की मांग कर रहे थे और नहीं मिलने पर कम से कम अपने प्रभाव क्षेत्र प्रतापगढ़ व कौशांबी में मनमुताबिक भाजपा प्रत्याशी चाह रहे थे।