बाबूलाल मरांडी
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हेमंत सोरेन
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उत्तर प्रदेश में तीन चरणों का चुनाव बीतने के साथ और भारतीय जनता पार्टी के सामने दिखी चुनौतियों के मद्देनज़र अब पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश में सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटों वाले सूबे की कमान अपने हाथों में ले ली है। नाराज क्षत्रिय नेताओं को मनाना हो, पार्टी में शामिल कराना हो या फिर सीट वार दिक्कतें खड़ी कर रहे लोगों को समझा-बुझा कर पटरी पर लाना हो, अमित शाह इन सब पर जुट गए हैं। कई सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व में घोषित प्रत्याशियों में बदलाव से लेकर आकाश आनंद के आक्रामक प्रचार अभियान पर लगाम लगाने को शाह की रणनीति की सफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है। इतना ही नहीं, कई लोकसभा सीटों पर अपने की प्रत्याशियों के प्रचार को लेकर उदासीन या अंदरखाने विरोध कर रहे पार्टी विधायकों को भी तगड़ी घुट्टी पिलाते हुए उन्हें हर हाल में जीत सुनिश्चित करने को कहा गया है।
बीते कई सालों से भाजपा का हर मौक़े पर साथ दे रहे उत्तर प्रदेश के कद्दवार क्षत्रिय नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या इस लोकसभा चुनाव में अब तक शांत बैठे थे। कहा जा रहा था कि पहले राजा भैय्या अपनी पार्टी जनसत्ता दल के लिए एक-दो लोकसभा सीटों की मांग कर रहे थे और नहीं मिलने पर कम से कम अपने प्रभाव क्षेत्र प्रतापगढ़ व कौशांबी में मनमुताबिक भाजपा प्रत्याशी चाह रहे थे।
दोनों अपेक्षाएं पूरी न होने पर राजा भैय्या किसी के लिए प्रचार न करते हुए चुपचाप बैठे थे। राजा भैय्या की अधिक नाराजगी कौशांबी सांसद प्रत्याशी विनोद सोनकार से थी जो उनके खिलाफ अक्सर बयान देते रहते थे। बीते हफ्ते राजा भैय्या को अमित शाह ने बंगलौर में मिलने के लिए चार्टर्ड प्लेन से बुलाया और उन्हें मनाया। अब राजा भैय्या ने भाजपा के लिए प्रचार करने का एलान कर दिया है।
जौनपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह को अमित शाह की पसंद कहा जा रहा है। यहाँ से बसपा प्रत्याशी के तौर पर बाहुबली व प्रभावशाली क्षत्रिय नेता धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी का नामांकन दाखिल करा दिया था। धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं और वो जोर-शोर से प्रचार कर रही थीं। उनके पति धनंजय एक आपराधिक मामले में सात साल की सजा पाने के बाद जेल में थे। उच्च न्यायालय ने धनंजय की पत्नी के नामांकन दाखिल होने के दिन ही उन्हें जमानत दे दी और उसके एक दिन बाद बसपा ने टिकट वापस ले लिया। हालाँकि धनंजय का कहना है कि उन्होंने खुद टिकट वापस नहीं किया बल्कि बसपा ने बदला है। इन सबके बीच इसी हफ्ते धनंजय ने अपनी पत्नी श्रीकला के साथ दिल्ली जाकर अमित शाह से मुलाकात की और एक घंटे तक चर्चा की। अब धनंजय ने अपने समर्थकों से मिलकर चुनाव में किसकी मदद करनी है इस बाबत फ़ैसला लेने की बात कही है। माना जा रहा है कि ये फ़ैसला बीजेपी के ही पक्ष में होगा।
बस्ती जिले के प्रभावशाली क्षत्रिय नेता राजकिशोर सिंह पहले मायावती और फिर अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। पिछले विधानसभा चुनावों के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़कर फिर से बसपा ज्वाइन कर ली थी। हालाँकि इधर कुछ महीने पहले उन्होंने बसपा भी छोड़ दी थी और किसी नए ठिकाने की तलाश में थे। काफी समय से राजकिशोर भाजपा में शामिल होने के प्रयास में थे और इसके लिए अमित शाह से मिलना चाहते थे। तमाम कोशिशों के बाद भी उनकी मुलाकात अमित शाह से नहीं हो पा रही थी।
क्षत्रियों की भाजपा से नाराजगी की ख़बरें सामने आने के बाद अचानक अमित शाह ने खुद राजकिशोर को दिल्ली बुलाकर मुलाकात की और उसी शाम को उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली।
रायबरेली में भाजपा प्रत्याशी दिनेश सिंह के लिए जनसभा करने पहुंचे अमित शाह ने समाजवादी पार्टी के बागी विधायक व पूर्व मंत्री मनोज पांडे के घर जाकर मुलाकात की और वहां भोजन किया। मनोज पांडे विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक थे पर जनवरी में विधान परिषद व राज्यसभा चुनावों से पहले इस्तीफा दे दिया था। मनोज पांडे रायबरेली लोकसभा सीट से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार थे। टिकट न मिलने के चलते नाराज थे और भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं कर रहे थे। अमित शाह के पहुंचने के बाद उनके तेवर नरम पड़े हैं और उन्होंने मदद का भरोसा दिया है।
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