इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील ख़ान को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एनएसए के तहत उनकी गिरफ़्तारी ग़ैर-क़ानूनी है और उन्हें रिहा किया जाए। सरकार ने उन्हें नागरिक़ता क़ानून के ख़िलाफ़ भाषण देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी एनएसए के तहत जेल में बंद कर दिया था। क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एनएसए के तहत उनकी जेल की अवधि फिर से बढ़ा दी गई थी। लंबे समय से सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती दी जा रही थी। सामाजिक कार्यकर्ता भी कफील ख़ान को जेल में बंद करने के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे थे।
एनएसए के तहत कफील की हिरासत 'ग़ैर-क़ानूनी', रिहा करें: इलाहाबाद हाई कोर्ट
- उत्तर प्रदेश
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- 2 Sep, 2020
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील ख़ान को रिहा करने का आदेश दिया है। सरकार ने उन्हें नागरिक़ता क़ानून के ख़िलाफ़ भाषण देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून यानी एनएसए के तहत जेल में बंद कर दिया था।

हाई कोर्ट ने कहा, 'पूरा भाषण पढ़ने पर प्रथम दृष्टया नफ़रत या हिंसा को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं लगता है। इसमें अलीगढ़ में शांति भंग करने की धमकी भी नहीं लगती है।' कोर्ट ने कहा, 'ऐसा लगता है कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने भाषण से कुछ वाक्यों को चयनात्मक रूप से देखा और चयनात्मक उल्लेख किया था, जो इसकी वास्तविक मंशा की अनदेखी करता है।'