उत्तर प्रदेश में अजब एनएसए की ग़ज़ब कहानी है। एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून। एक ऐसा सख़्त क़ानून जो सरकार को बिना किसी आरोप या ट्रायल के लोगों को गिरफ़्तार करने का अधिकार देता है। लेकिन इसका इस्तेमाल गौ हत्या के आरोपियों पर। सामान्य क़ानून-व्यवस्था के मामलों में इसका इस्तेमाल। तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। तभी तो अधिकतर मामलों में तो अदालतों ने कह दिया कि 'बिना सोचे-समझे' एनएसए लगाया गया। यही नहीं, अलग-अलग मामलों की एफ़आईआर में भाषा ऐसी जैसे कॉपी-पेस्ट की गई हो।
यूपी: एनएसए का इतना ग़लत इस्तेमाल! हाई कोर्ट से 120 में से 94 केस रद्द
- उत्तर प्रदेश
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- 6 Apr, 2021
उत्तर प्रदेश में एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 120 मामलों में से 94 मामलों को खारिज कर दिया और हिरासत में लिए गए आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया।

उत्तर प्रदेश में इस सख़्त एनएसए के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे ही सवाल कोर्ट भी उठाता रहा है। इन्हीं सवालों के बीच यूपी में जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक के मामलों की 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने पड़ताल की है। इसमें यह देखा गया है कि एनएसए के तहत की गई कार्रवाई पर हैबियस कार्पस के 120 मामलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया है। इसमें से अदालत ने 94 मामलों को सीधे खारिज कर दिया और हिरासत में लिए गए आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया। ये मामले 32 ज़िलों में आए थे।