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हाथरस सत्संग के 6 आयोजक गिरफ्तार; 'भोले बाबा' से पूछताछ भी नहीं!

उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में हुई भगदड़ के सिलसिले में गुरुवार को सत्संग के छह आयोजकों को गिरफ्तार किया है। मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की बात कही गई। पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और जांच जारी है, लेकिन मामले में नारायण साकार विश्व हरि या 'भोले बाबा' का नाम नहीं लिया गया है।

हाथरस के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई थी। अलीगढ़ के आईजी शलभ माथुर ने कहा, "घटना में चार पुरुषों और दो महिलाओं सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वे सभी आयोजन समिति के सदस्य हैं और 'सेवादार' के रूप में काम करते थे।" 

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उन्होंने कहा कि मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाएगा। पुलिस ने खुलासा किया कि गिरफ़्तार किए गए आरोपी भीड़ प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार स्वयंसेवक के तौर पर काम करते हैं। शलभ माथुर ने कहा कि वे भीड़ नियंत्रण का काम स्वतंत्र रूप से करते हैं और प्रशासन को यह काम करने नहीं देते।

एक लाख का इनाम घोषित

इस बीच एफआईआर में मुख्य आरोपी के तौर पर 'मुख्य सेवादार' देव प्रकाश मधुकर की पहचान की गई है। पुलिस ने मधुकर की गिरफ़्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को 1 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। पुलिस मधुकर की गिरफ़्तारी के लिए कोर्ट से गैर-ज़मानती वारंट पाने का प्रयास कर रही है। कहा गया कि ज़रूरत पड़ने पर अधिकारी 'भोले बाबा' से भी पूछताछ कर सकते हैं। उनका नाम एफआईआर में नहीं है लेकिन उनकी जांच चल रही है। पुलिस नारायण साकार हरि की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी जुटा रही है और उन शहरों में टीमें भेजी गई हैं जहाँ उनका संभावित आपराधिक रिकॉर्ड है।

पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, धार्मिक समागम में 2.50 लाख से अधिक लोग शामिल हुए, जबकि प्रशासन ने इस आयोजन के लिए 80,000 लोगों को अनुमति दी थी। एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है कि सत्संग आयोजकों ने साक्ष्य छिपाकर और आस-पास के खेतों में उनके अनुयायियों की चप्पलें और अन्य सामान फेंककर कार्यक्रम में लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की। भगदड़ तब मची जब अनुयायी भोले बाबा की एक झलक पाने के लिए दौड़े और एक-दूसरे से टकरा गए। 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इस घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिया है, जिसका नेतृत्व उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव और दो अन्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हेमंत राव और भावेश कुमार सिंह करेंगे।

इसके साथ ही सीएम ने कहा है कि जाँच इस बात पर भी केंद्रित होगी कि क्या इस त्रासदी के पीछे कोई 'साजिश है। 'भोले बाबा' के वकील ने भी 'असामाजिक तत्वों' को दोषी ठहराया है और जोर देकर कहा है कि यह एक 'सुनियोजित साजिश थी।

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'भोले बाबा' को लेकर अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या उनको बचाया जा रहा है? हाथरस में सत्संग में 121 लोगों की मौत हो गई तो क्या सत्संग करने वाले नारायण साकार हरि उर्फ ​​'भोले बाबा' ज़िम्मेदार नहीं हैं? आख़िर एफ़आईआर में उनका नाम क्यों नहीं है? और उनकी गिरफ़्तारी क्यों नहीं हो पाई है? क्या आयोजकों को नामजद कर बाबा को बचाने की कोशिश हो रही है? अब तक बाबा सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? क्या वोटबैंक की ताक़त से उन्हें बचाया जा रहा है? सूरज पाल उर्फ भोले बाबा दलित समुदाय से आते हैं। उनके कई राज्यों में अनुयायी हैं। ऐसे अनुयायियों की संख्या लाखों में है। और ये वोट बैंक भी हैं!

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क़मर वहीद नक़वी
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