उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दिए गए ऑफर को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह का बयान आया है। अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के 100 विधायक तोड़ते हैं तो राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सपा उनका समर्थन कर सकती है।
लेकिन उनके इस बयान पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अखिलेश यादव पानी से निकली मछली की तरह ही सत्ता से बाहर होने के बाद तड़प रहे हैं।
मौर्य ने कहा था कि अखिलेश यादव के 111 में से 100 विधायक बीजेपी के साथ आने के लिए तैयार हैं लेकिन हमें इसकी जरूरत नहीं है और बीजेपी की सरकार मजबूती के साथ चल रही है।
अब इस पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, “केशव मौर्य संगठन के, पार्टी के प्रमाणित एवं भाजपा की विचारधारा के लिए समर्पित कार्यकर्ता हैं। वह सदैव हमारे साथ रहेंगे, किसी स्वार्थ में पड़ने वाले नेता नहीं हैं। वह अखिलेश यादव को चलाएंगे, अखिलेश यादव उन्हें क्या चला पाएंगे।”
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव तो अपने गठबंधन की, अपने परिवार की, अपनी पार्टी की, अपने विधायकों की भी चिंता कर लें क्योंकि उनके विधायक हमारे संपर्क में हैं।
सीएम के दावेदार थे मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल से होते हुए संघ और फिर बीजेपी में आए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे और तब बीजेपी को चुनाव में बड़ी जीत मिली थी। तब इस बात की प्रबल संभावना थी कि मौर्य को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल सकती है लेकिन लंबे मंथन के बाद बीजेपी हाईकमान ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी थी और मौर्य को उप मुख्यमंत्री बनाया था।
केशव प्रसाद मौर्य को कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता सदन जैसा अहम पद भी दिया गया था। इससे पहले यह पद स्वतंत्र देव सिंह के पास था। मौर्य को इस साल विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका तब लगा था जब वह कौशांबी जिले में सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे।
पिछड़ी जाति से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य के पास उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में कार्यकर्ताओं का अच्छा खासा नेटवर्क है और समर्थकों की बड़ी संख्या है।
बता दें कि अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, केशव देव मौर्य के महान दल, कृष्णा पटेल के अपना दल (कमेरावादी) के साथ मिलकर एक मजबूत गठबंधन बनाया था। लेकिन यह गठबंधन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सका था।
कुछ दिन पहले ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव सपा गठबंधन से अलग हो गए थे।
विधान परिषद चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी देखने को मिली थी। रामपुर और आजमगढ़ के उपचुनाव में सपा की हार के बाद राजभर ने अखिलेश पर कई बार तंज कसा था। सपा गठबंधन के एक और सहयोगी केशव देव मौर्य भी विधान परिषद चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर नाराजगी जता चुके हैं और गठबंधन से दूरी बनाए हुए हैं।
बीजेपी की कोशिश उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 75 सीटें जीतने की है। बीजेपी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 57 सीटों का नुकसान हुआ है और 2024 के लोकसभा चुनाव में वह इसकी भरपाई करना चाहती है।
बहरहाल, आने वाले दिनों में बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच ऐसी बयानबाजी लगातार देखने को मिल सकती है।
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