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अखिलेशः गलतियों पर शर्मिंदा नहीं, लेकिन सपा के सभी पदाधिकारी हटाए

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को युवा और महिला विंग सहित अपने सभी संगठनों के राष्ट्रीय, राज्य और जिला कार्यकारी निकायों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया। अखिलेश यादव से उम्मीद की जा रही थी कि अपनी गलतियों से सीख कर वो कोर मतदाताओं से माफी मांगेंगे और उनसे नए सिरे से वादे करेंगे। लेकिन उन्होंने कोर वोटरों को भूलकर पार्टी में सुधार शुरू करने की कोशिश की है। हालांकि समस्या की जड़ में संगठन के पदाधिकारी नहीं, बल्कि अखिलेश की खुद की नीतियां हैं। अखिलेश बखूबी जानते हैं कि उनके कोर वोटर मुस्लिम और यादव हैं लेकिन उन्होंने अपने दोनों वोटर समूह को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
हालांकि इसका कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन इस कदम को पार्टी के गढ़ रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद सपा में सुधार के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

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पार्टी ने कहा कि पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम अपने पद पर बने रहेंगे।

पार्टी ने एक ट्वीट में कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के राष्ट्रीय, राज्य और जिला कार्यकारी निकायों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस रही है और पूरी ताकत के साथ बीजेपी से मुकाबला करने के लिए संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश अपनी गलतियों को अभी तक स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने अपने परिवार के शख्स को टिकट दिया, जबकि वो वहां से मुस्लिम प्रत्याशी देकर इसे स्मार्ट फाइट बना सकते थे। यही काम बीएसपी की मायावती ने किया। उन्होंने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा और बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोट अपनी पार्टी में शिफ्ट करा लिया। अखिलेश एक बार भी आजमगढ़ में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे जबकि बीजेपी के तमाम बड़े नेता वहां घूम घूम कर प्रचार करते रहे। रामपुर का उपचुनाव अखिलेश ने जानबूझकर आजम खान पर छोड़ा। आजम खान ने बेमन से वहां अपने आदमी को चुनाव लड़वाया। कुल मिलाकर सपा के कोर वोटरों में माहौल अखिलेश के खिलाफ बना हुआ है।
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क़मर वहीद नक़वी
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