ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ओवैसी का उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के साथ गठबंधन है। इसके अलावा किसी और पार्टी से गठबंधन की बात नहीं हुई है। कुछ दिनों से चर्चा थी कि ओवैसी की पार्टी का बीएसपी के साथ गठबंधन हो सकता है लेकिन मायावती ने अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान करके इन अटकलों को विराम दे दिया है।
यूपी में किसे फ़ायदा और किसे नुक़सान पहुँचाएंगे ओवैसी?
- उत्तर प्रदेश
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- 29 Jun, 2021

उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे असदुद्दीन ओवैसी और उनके राजनीति का भविष्य भी तय करेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद देशभर में असदुद्दीन ओवैसी का राजनीतिक कद बढ़ा था। पूरे देश भर के मुसलमानों का नेता और मसीहा माना जाने लगा था। लेकिन पश्चिम बंगाल के चुनाव उनकी पार्टी की हुई दुर्गति ने उनके इस बढ़ते हुए क़द को रोक दिया है।
किसकी पालकी ढोएंगे
असदुद्दीन ओवैसी के इस ऐलान के बाद यह सवाल उठना लाज़मी है कि उत्तर प्रदेश में वो किसकी पालकी ढोएंगे और किस के जनाज़े को कंधा देंगे। उत्तर प्रदेश में पिछले 4 साल से बीजेपी सत्ता में है लेकिन असदुद्दीन ओवैसी जब यूपी में कोई रैली करते हैं तो उनके निशाने पर मुलायम सिंह यादव और उनका परिवार होता है। इस साल की शुरुआत में जब उन्होंने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की तैयारियाँ शुरू की थीं तब अपनी पहली ही रैली में आज़मगढ़ में मुलायम सिंह और उनके परिवार पर मुसलमानों के वोट झटक कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया था।