किसानों ने केंद्र सरकार के बजट 2024 को ठुकरा दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बजट की प्रतियां गांव-गांव जलाने की घोषणा की है। ताज्जुब है कि बजट में किसानों के प्रति दिखाई गई बेरुखी पर मुख्यधारा का मीडिया कोई बात नहीं कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार सरकार के लिए इसे खतरनाक स्थिति बता रहे हैं। क्योंकि किसानों ने अगर मोदी सरकार को इसकी सजा देने का फैसला कर दिया तो केंद्र की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। पढ़िएः
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, 23 जुलाई को बजट की घोषणा के समय एफपीआई ने 2,975 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची और फिर 24 जुलाई को 5,130 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। और फिर गुरुवार को 2,605 करोड़ रुपये मार्केट से निकाले। ये आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं, जानिएः
किसानों के सबसे बड़े संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय बजट 2024 को खारिज करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध का फैसला लिया है। एसकेएम का कहना है कि बजट में किसानों और श्रमिकों की व्यापक ऋण माफी की लंबे समय से लंबित मांग की बेरहमी से उपेक्षा की गई है।
विपक्ष ने केंद्रीय बजट 2024 में तमाम राज्यों की अनदेखी को बड़ा मुद्दा बना दिया है। संसद परिसर में इंडिया गठबंधन के दलों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। राज्यसभा में भी कांग्रेस की अगुआई में विपक्ष ने बहिष्कार किया।
केंद्रीय बजट में सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए योजनाओं और बजट की घोषणा ने इंडिया खेमे से जुड़े राज्यों में कोहराम मच गया है। उन्होंने मोदी सरकार पर बाकी राज्यों से भेदभाव का आरोप लगाया है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को छोड़कर सारे मुख्यमंत्री एकजुट हो गए हैं। जानिए ताजा हालातः
नई आयकर व्यवस्था में बदलाव कर वेतनभोगी वर्ग के हाथों में अधिक पैसा उपलब्ध कराने का दावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है। जानिए वो बदलाव क्या है और क्या सचमुच आप पैसा बचा पाएंगेः
केंद्रीय बजट 2024 के सबसे बड़े लाभार्थी बिहार और आंध्र प्रदेश हैं। मोदी सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के बावजूद तमाम मदों में बजटीय आवंटन इतना बढ़ा दिया है कि नीतीश कुमार अब शायद ही शिकायत करें। यही स्थिति आंध्र प्रदेश की भी है। उसने जो-जो वित्तीय मांग रखी थी, उसे केंद्र ने पूरा कर दिया है। इसे मोदी सरकार का राजनीतिक मजबूरियों का बजट कहना ज्यादा सही होगा। जानिए पूरी बातः
केंद्र सरकार के बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी-एनडीए की दस साल पुरानी सरकार पर विपक्ष के अधिकतर आरोपों की पुष्टि कर दी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार 23 जुलाई को संसद में केंद्रीय बजट पेश किया। बजट से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाओं को यहां लगातार अपडेट किया जा चुका है। तमाम घोषणाओं पर अलग से विस्तृत रिपोर्ट भी सत्य हिन्दी पर मौजूद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मध्यम वर्ग के करदाता राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन निर्मला पर राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने का भी दबाव है। ऐसे में बजट क्या लेकर आता है, यह देखना हैः
केंद्रीय बजट फिर आ रहा है। लेकिन यह मोदी सरकार के पिछले बजटों की तरह ही होगा या फिर इसमें बेरोजगारी से लड़ने की उम्मीद रखी जाए। रोजगार एक ऐसा मुद्दा है, जिससे बजट बनाने और पेश करने वाले डील नहीं करना चाहते। हर बार यह मुद्दा अछूता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार अनन्त मित्तल की टिप्पणीः
अगर आप अभी भी अखबार पढ़ते होंगे और टीवी देखते होंगे तो आपको अंदाजा होगा कि बजट 2024 का कोई शोर नहीं है। बजट कैसा भी हो सरकार हेडलाइन मैनजमेंट में सक्षम है, उसे अच्छा ही कहा जायेगा। इसलिए, बजट अच्छा हो इसकी जरूरत ही नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह बता रहे हैं बजट का गणितः