सुदर्शन टीवी और उसके मालिक/संपादक चव्हाणके पहली बार कड़ी न्यायिक स्क्रुटिनी के सामने आ पड़े हैं। संयोग से वह सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसी बेंच के सामने हैं जो प्रेस की आज़ादी और नागरिक की आज़ादी के सवाल पर बेहद तर्कसंगत रवैये के लिये विख्यात है। हाईकोर्ट से तो चव्हाणके केंद्र सरकार की खुली मदद के चलते बच निकले थे, विश्लेषण कर रहे हैं शीतल पी सिंह।