दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में एक कार्यक्रम में सांप्रदायिक और विभाजनकारी भाषण देने के लिए सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के खिलाफ दायर एक याचिका पर पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है।
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ एसक्यूआर इलियास ने यह केस दायर किया था। उनका बेटा, जेएनयू का पूर्व छात्र उमर खालिद, वर्तमान में दिल्ली दंगों से संबंधित यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में है, जिसमें एक सत्र अदालत उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।
साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जितेंद्र प्रताप सिंह ने सुदर्शन टीवी और सुरेश चव्हाणके मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख तय की है।
कोर्ट में दायर अर्ज़ी में कहा गया है कि 19 दिसंबर, 2021 को गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन पर हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम हुआ। उसमें कहा गया कि आरोपी (सुरेश चव्हाणके) को भारत को "हिंदू राष्ट्र" बनाने के लिए लोगों के एक समूह को "मरने और मारने" के लिए "शपथ लेते हुए" देखा गया था।
कोर्ट से माँग की गई थी कि चव्हाणके के खिलाफ "भाषण देने और सांप्रदायिक, विभाजनकारी, आग लगाने वाले और घृणास्पद भाषण देने वाले बयान देने के लिए एफआईआर दर्ज की जाए। कहा गया कि इस तरह की आग लगाने वाली टिप्पणियों में कुछ समुदायों से संबंधित लोगों के बीच तनाव पैदा करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और सीधे हिंसा को भी भड़काएँगी।”
इसमें यह भी कहा गया है कि घटना के तुरंत बाद चव्हाणके अपने ट्विटर हैंडल से "एक ही सपना हिंदू राष्ट्र" नामक एक हिंदी हैशटैग को बढ़ावा देते दिखे।
कोर्ट से यह भी कहा गया है कि "मौजूदा मामले में किसी प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान आरोपी व्यक्तियों द्वारा भड़काऊ, सांप्रदायिक और घृणास्पद भाषण दिए गए थे और उसी के वीडियो सार्वजनिक डोमेन में हैं"।
इसमें कहा गया है कि यह जरूरी है कि चव्हाणके को भड़काऊ बयानों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए और हिंसा की किसी भी घटना को रोकने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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