पत्रकारिता की आड़ में समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के आरोपों का सामना कर रहे सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके को शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।
सुरेश चव्हाणके 28 अगस्त से रात 8 बजे नौकरशाही जिहाद नाम से एक कार्यक्रम का प्रसारण करने वाले थे लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके प्रसारण पर रोक लगा दी है। जस्टिस नवीन चावला ने यह आदेश दिया है। इसे लेकर जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई थी।
बीते तीन दिनों से सुरेश चव्हाणके का एक वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की घुसपैठ का आरोप लगाते हुए इसे नौकरशाही जिहाद का नाम दे रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस ट्वीट में उन्होंने यह वीडियो जारी किया है, उसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भी टैग किया है।
सुरेश चव्हाणके के इस वीडियो पर सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर आईपीएस एसोसिएशन, आईपीएस अफ़सरों और आईएएस अधिकारियों ने आपत्ति की है और इसे नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया है। दिल्ली पुलिस में तो इसकी शिकायत दी ही गई है, यूपीएससी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर सख़्त कार्रवाई करने की माँग भी की गई है।
बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी खुलकर लिख और बोल रहे हैं। अधिकतर लोगों ने सुरेश चव्हाणके की भाषा को सांप्रदायिक नफ़रत का जहर उगलने वाली भाषा क़रार दिया है।
वैसे, कथित तौर पर नफ़रत फैलाने, मुसलिम विरोधी ऐसी ही ख़बरों के लिए अक्सर सुदर्शन न्यूज़ और सुरेश चव्हाणके निशाने पर रहे हैं। यूपी में कमलेश तिवारी हत्याकांड में असदुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ ख़बर का मामला हो या फिर 'यूपी पुलिस के ख़िलाफ़ मस्जिद के फरमान' के बारे मे ग़लत ख़बर देने का, ऐसी ख़बरें अक्सर ग़लत साबित हुई हैं। फ़ेक न्यूज़ को उजागर करने वाली प्रतिष्ठित वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने 2019 में इस पर एक पूरी रिपोर्ट छापी थी। रिपोर्ट में सुदर्शन न्यूज़ की कई ख़बरों को फ़ेक बताया गया था। ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार, सुदर्शन न्यूज़ ने 1 जुलाई, 2019 के प्रसारण में एक वीडियो चलाया जिसमें हाथ में तलवार लिए लोग आरएसएस कार्यकर्ताओं को मारने के नारे लगाते हुए दिख रहे थे। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि पुराने वीडियो को एडिट कर आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या करने के नारों से इसे जोड़ दिया गया था। सुरेश चव्हाणके ने बुलंदशहर में हिंसा को तब्लीग़ी इज़्तेमा से जोड़ा था जिसे पुलिस ने फ़र्ज़ी ख़बर बताया था।
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