मुगल इतने ही बुरे थे तो
फिर लालकिला, ताजमहल जैसी और भी न जाने कितनी चीजें हैं जो उन्होंने बनाईं उन्हें भी मिटा देना चाहिए। अगर
मुगल सभी बुरी चीजों के प्रतीक थे, तो फिर इनका सबकुछ मिटा देना चाहिए।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। नसीरुद्दीन : पीएम को आगे आकर फैल रहे ज़हर को रोकना चाहिए । Dostarlimab दवा से 18 कैंसर रोगियों के ठीक होने का दावा : रिपोर्ट ।
धर्म संसद में मुस्लिमों के नरसंहार पर बोले नसीर । अगर उनपर हमला होगा तो मुस्लिम समाज को अपनी रक्षा तो करनी पड़ेगी ! वो कहते हैं कि मोदी के भारत में मुस्लिमों को हाशिये पर डाल दिया गया है, उनका अस्तित्व ही ख़त्म करने की कोशिश की जा रही है । क्या वाक़ई में ऐसा है ? आशुतोष के साथ चर्चा में दिलीप चैंपियन, मनीषा प्रियम और आरफा खानम ।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । नसीरुद्दीन: मुसलमान सामना करेंगे, देश को गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा । नसीर : मोदी की चुप्पी से साफ है उनको इनकी परवाह नहीं
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। नसीर : तीन ख़ान बोले तो होगा उत्पीड़न, खोने के लिए बहुत कुछ। पीएम मोदी ने की योगी आदित्यनाथ के काम की तारीफ
नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीय मुसलमानों को संदेश दिया। उन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम और दुनिया के बाक़ी हिस्सों के इस्लाम के बीच फर्क बताया है। आख़िर उनके बयान पर विवाद क्यों है?
नसीरुद्दीन शाह फिर विवादों में हैं .उन्होंने भारतीय इस्लाम की बात कही है .क्या यह दूसरे देशों के इस्लाम से अलग है ? नसीरुद्दीन शाह की टिपण्णी को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए हैं .आज की जनादेश चर्चा इसी पर शाम सात बजे .विभूति नारायण राय ,अपूर्वानंद ,महमूद आब्दी और हरजिंदर के साथ
जाने-माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपने वीडियो में ऐसा क्या कह दिया कि मुसलमानों का एक तबका उनसे ख़फ़ा हो गया और हिंदुओं का एक हिस्सा उनकी वाहवाही कर रहा है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामि हैं-गौहर रज़ा, अपूर्वानंद, जमील ग़ुलरेज़, शीबा असलम फ़हमी और मेजर मोहम्मद अली शाह-
नसीरुद्दीन शाह। भारत के जीवित कलाकारों में सबसे बड़ा नाम। इनकी समझदारी भरी संवेदनशीलता हमें अक्सर रास्ता दिखाती आई है। पिछले कई दिनों से नसीर साहब अपने बयानों को लेकर काफ़ी चर्चा में रहे हैं। उनसे बात की जमील गुलरेज ने। प्रस्तुत है पूरी बातचीत:
लॉकडाउन से क्या बदला? और अब गणतंत्र दिवस से पहले क्या सोचते हैं नसीरुद्दीन शाह? रंगकर्मी और कथाकथन के संचालक जमील गुलरेज़ की नसीरुद्दीन शाह से खास बातचीत। नसीर साहब की जिंदगी, उनके अहसास और समाज व देश के तमाम मसलों पर बेबाक बातचीत।
जाने माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह सत्तर वर्ष के हो गए हैं। नसीर एक कलाकार की हैसियत से ही नहीं, सामाजिक स्तर पर भी हमेशा सक्रिय और मुखर रहे हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने ख़ास तौर पर उन घटनाओं पर खुलकर टिप्पणी की है जिनसे देश में उथल-पुथल मची हुई है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने फिल्मों के तीन जानकारों नीलेंदु सेन, अमिताभ श्रीवास्तव और रुक्मिणी से बातचीत की।
पिछले कुछ समय से यह देखा जा सकता है कि नसीरुद्दीन शाह अपनी फ़िल्मी दुनिया के अलावा मौजूदा राजनीति और समाज के ढर्रे पर भी बहुत मुखर होकर अपनी नाख़ुशी या नाराज़गी जताते रहते हैं।
नागरिकता क़ानून यानी सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मीरा नायर, नंदिता दास, नसीरुद्दीन शाह सहित 300 से ज़्यादा हस्तियों ने समर्थन किया है।