सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 31 को मणिपुर मामले की सुनवाई जारी रही। अदालत मंगलवार 1 अगस्त को इस मामले की सुनवाई फिर करेगी। भारत के चीफ जस्टिस ने इस बात पर सख्त टिप्पणी की कि दूसरे राज्यों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। अदालत ने कहा कि अन्य जगहों के मामलों की आड़ मणिपुर के लिए नहीं ली जा सकती।
भारत बहुसंस्कृति वाला देश है। हमारा संविधान भी इसकी पुष्टि करता है। यानी हमारे नेताओं ने ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर मजहब, जाति, समुदाय के लोग मिलजुल कर रहेंगे लेकिन स्तंभकार अपूर्वानंद कहते हैं कि उस ख्वाब की ताबीर को मणिपुर में कुचल दिया गया है।
सरकार संसद में मणिपुर पर भले ही चर्चा से बच रही है लेकिन दूसरी तरफ वो मणिपुर में शांति बहाली के लिए वहां के कुकी और मैतेई संगठनों से बातचीत कर रही है। यह बातचीत आईबी अफसरों के जरिए हो रही है।
केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष आज संयुक्त प्रस्ताव सदन में पेश कर सकता है। इसके मद्देनजर भाजपा ने विपक्ष पर चारों तरफ से तीखा हमला बोल दिया है। भाजपा का हर नेता और सरकार का मंत्री इंडिया पर बयान से हमला कर रहा है।
मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष यानी इंडिया के कुछ सांसद रातभर संसद के बाहर धरने पर बैठे रहे। उनकी मांग है कि पीएम मोदी सदन के अंदर मणिपुर पर आकर बयान दें। पीएम मोदी ने संसद के बाहर तो बयान दिया लेकिन पता नहीं क्यों वो संसद के अंदर बोलने से हिचक रहे हैं। सांसद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सदन से निलंबित किए जाने का भी विरोध कर रहे हैं।
मणिपुर पर विदेश में भी चिन्ता बढ़ रही है। अमेरिका ने इस पर चिन्ता जताते हुए पीड़ितों से हमदर्दी की बात कही है। पिछले दिनों यूरोपियन संसद में भी यह मामला उठा था। लेकिन भारत ने हमेशा इसे अपना आंतरिक मामला बताकर आरोपों को खारिज करता रहा है। देखना है कि अमेरिका की प्रतिक्रिया पर भारत क्या कहता है।
मणिपुर पर यह कहकर बचा नहीं जा सकता कि ऐतिहासिक रूप से कुकी-मैतेयी विभाजन का मामला है। मणिपुर की हिंसा के लिए राज्य ज़िम्मेवार है, यह साफ़ साफ़ कहने की आवश्यकता है।
मणिपुर से पहली बार ऐसी कहानी सामने आई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मैतेई महिलाओं के नामी संगठन की महिलाओं ने 18 साल की कुकी लड़की को पुरुषों के हवाले कर दिया, जिन्होंने उसके साथ शारीरिक क्रूरता की, पीटा और गैंगरेप किया। द हिन्दू ने यह पूरी कहानी एफआईआर के जरिए प्रकाशित की है।
मणिपुर में महज मैतेई समीकरण की वजह से भाजपा ने वहां के हालात को दांव पर लगा दिया है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता। पढ़िए पूरा लेखः
मणिपुर वीडियो के जरिए जो भयावह सच सामने आया, उस पर पूरी मानवता शर्मसार है। लेकिन कुछ लोगों को तो शर्म भी नहीं आ रही। पीएम मोदी ने बहुत दुख जताया लेकिन मणिपुर के लोगों से शांति की अपील नहीं की। वो पिछले दो महीने से मणिपुर पर चुप थे। पत्रकार और स्तंभकार वंदिता मिश्रा कह रही हैं - प्रधानमंत्री और सरकार की उपस्थिति तो पहले से ही संदिग्ध है। पढ़िए उनका यह लेख।