सोयाबीन किसानों को राहत देते हुए, केंद्र ने सोयाबीन खरीद मानदंडों में ढील दे दी है और नमी की सीमा 15% तक बढ़ा दी है। मोदी सरकार की यह घोषणा ऐसे समय आई है, जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। राज्य के सोयाबीन उत्पादक सरकार की नीतियों से नाराज हैं। उनका कहना है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में भी उनके साथ धोखा हुआ है। जानिए पूरी बातः
क्या महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं को सरकार हल करने में नाकाम साबित हो रही है? आख़िर बड़ी संख्या में किसान पैदल मार्च कर मुंबई की ओर क्यों आ रहे हैं?
कोरोना के कारण महाराष्ट्र का औद्योगिक चक्र थमा तो पूरा आर्थिक ढांचा ही लड़खड़ा गया ऐसे में कृषि को लेकर जो कुछ उम्मीद जगी थी वह भी अतिवृष्टि से धराशाही हो गयी।
महाराष्ट्र में जब चुनाव प्रचार चल रहा था तब नेता किसानों का 'मसीहा' बनने का दावा कर रहे थे। किसान तब भी आत्महत्या कर रहे थे और जब नेता चुनाव जीतने के बाद क़रीब एक महीने तक सत्ता के लिए तिकड़म चला रहे थे तब भी किसान आत्महत्या ही कर रहे थे।
महाराष्ट्र में 1972 के सूखे से भी इस साल का सूखा गंभीर है क्योंकि लगातार पिछले तीन सालों से बारिश कम हो रही है और नतीजन इस साल संकट ज़्यादा बढ़ गया है। इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार?