संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने 14 मार्च को रामलीला मैदान में महापंचायत करने की अनुमति दे दी है। लेकिन दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा के किसानों को शंभू बॉर्डर, खनौरी बॉर्डर और अन्य स्थानों पर रोका जा रहा है। ऐसा क्यों है, इसका क्या अर्थ लगाया जाए। जानिए ताजा घटनाक्रमः
दिल्ली में आज फिर किसान महापंचायत हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हजारों किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं। किसान सरकार को एमएसपी के मुद्दे पर जगाने आए हैं। किसान एमएसपी पर लीगल गारंटी मांग रहे हैं।
लखीमपुर में किसानों की हत्या के मामले में किसानों की मांगों को क्या सरकार मानेगी? जानिए, उनकी मांगें नहीं माने जाने पर किस तरह के आंदोलन की चेतावनी दी है।
मुज़फ्फरनगर महापंचायत में दिए गए एकता के नारे से बीजेपी क्यों परेशान है? इस नारे के ख़िलाफ़ वह और गोदी मीडिया अभियान क्यों चला रहे हैं? क्या इससे किसान आंदोलन को नुक़सान हो सकता है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- रामकृपाल सिंह, तीस्ता सीतलवाड़, क़ुरबान अली, शरद गुप्ता, ओंकारेश्वर पांडे और डॉ. रविकांत
यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर में किसान महापंचायत के बाद किसान मंगलवार को हरियाणा के करनाल में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ने भारी पुलिस बल लगाया है और पाँच ज़िलों में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है।
मुजफ्फरनगर की महापंचायत कवर करने गए कुछ पत्रकारों को किसानों ने घेर लिया तो एक महिला पत्रकार को हाय हाय के नारे लगाकर लगभग खदेड़ दिया। गलती किसानों की है या पत्रकारों की? ऐसा रहा तो मीडिया काम कैसे करेगा? आंदोलनकारी अपनी आलोचना सुनने से घबराते क्यों हैं?