संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि सोमवार को रामलीला मैदान में होने वाली 'किसान महापंचायत' में भाग लेने के लिए देश भर से लाखों किसान दिल्ली आ रहे हैं। इस समय संसद भी चल रही है। किसान संगठनों को उम्मीद है कि तमाम राजनीतिक दल उनके मुद्दे को संसद में उठाएंगे। लेकिन संसद को बीजेपी सांसदों ने ठप कर रखा है, ऐसे में किसानों का मुद्दा संसद में कैसे उठेगा, यह एक सवाल है।
एसकेएम ने पिछले महीने कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए दबाव बनाने के लिए 'किसान महापंचायत' आयोजित की जाएगी। दरअसल, किसान एमएसपी पर लीगल गारंटी यानी ऐसा कानून जो किसानों की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देता हो। मोदी सरकार रद्द किए जा चुके जो विवादास्पद कानून लाई थी, उसमें जिस एमएसपी की बात की गई थी, उसे बाजार पर छोड़ दिया गया था। संयुक्त मोर्चा समेत तमाम किसान संगठनों ने उसी समय आशंका जताई थी कि अगर यह कानून पास हो गया तो देश के करोड़ों किसानों का शोषण बाजार करेगा। भारत में अमेरिका जैसी खेती होने लगेगी। जिसके खिलाड़ी बड़े पूंजीपति होंगे। किसान उनके मजदूर बन जाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा एक साल से ज्यादा समय से किसान आंदोलन चला रही है। उसने केंद्र से एमएसपी पर समिति को भंग करने का आग्रह किया है। उसका आरोप है कि यह किसानों की मांगों के विपरीत है। जब केंद्र सरकार कृषि कानून लाई थी तो किसानों ने उसे रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन किया। सरकार ने मजबूर होकर कृषि कानूनों को वापस ले लिया। किसान अब एमएसपी पर नए सिरे से कानून की मांग कर रहे हैं और पुराने को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
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किसानों की मांगों में पेंशन, कर्जमाफी, किसान आंदोलन के दौरान मरने वालों को मुआवजा और बिजली बिल वापस लेना भी शामिल है। मोर्चा ने कृषि उद्देश्यों के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट की मांग भी दोहराई है।
अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि दिल्ली पुलिस ने रामलीला मैदान में 2,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है, जहां हजारों किसान सोमवार की 'किसान महापंचायत' के लिए इकट्ठा होंगे।
पुलिस ने कहा कि कार्यक्रम सुचारू रूप से चले इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
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