वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रसाद के लिए चढ़ाया जाने वाला बनारसी लाल पेड़े पर अब गुजरात की कंपनी का कब्जा हो गया है। बनारस के लोकल हलवाई अपना सदियों पुराना लाल पेड़ा मंदिर परिसर में नहीं बेच सकते। गुजरात की कंपनी को सरकार का संरक्षण है। गुजरात की कंपनी ने कर्नाटक में लोकल प्रोडक्ट नंदिनी के साथ ऐसा करने की कोशिश की थी लेकिन वहां कांग्रेस के भारी विरोध के बाद गुजरात की कंपनी को अपने कदम वापस लेने पड़े थे। लेकिन बनारस के लोकल हलवाइयों के पेट पर गुजरात की कंपनी ने लात मार दिया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में पुरुष पुलिसकर्मी धोती-कुर्ता में, मस्तक पर त्रिपुंड लगाए और गले में रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए दिखे। अखिलेश ने पूछा कि ये किस मैन्युअल के हिसाब से सही है?
सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसे क़ानून पर पुनर्विचार की याचिका स्वीकार कर ली है, जिसका उद्देश्य था- भारत के मंदिर-मसजिदों के विवादों पर हमेशा के लिए तालाबंदी कर देना। अब इस क़ानून को एक वकील अश्विन उपाध्याय ने अदालत में चुनौती दी है।
क्या अयोध्या के बाद अब मथुरा और वाराणसी की बारी है? क्या रामजन्मभूमि विवाद के बाद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्णजन्मभूमि मंदिर के लिए आन्दोलन शुरू होने वाला है?