यह अब कोई गूढ़ रहस्य नहीं है कि भारत की राजनीति में गैर जवाबदेही और बढ़ते गालीबाज नेता किस संस्कृति की देन हैं। लेकिन विडंबना यह है कि भारत की अधिकांश आबादी ने गाली और गैरजवाबदेही को एक पारिवारिक मूल्य के रूप में भी स्वीकार कर लिया है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा पूछ रही हैं कि आखिर भारत की जनता कब जागेगी?
भारतीय संसद अब अपने पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हो चुकी है। मंगलवार को पुराने भवन से सभी सांसद चल कर नए भवन में गए। इस मौके पर पुराने भवन में विदाई समारोह का आयोजन किया गया।
राहुल गांधी तो संसद में लौट आए। लेकिन संजय सिंह गए, अधीर रंजन चौधरी और राघव चड्ढा भी निलंबित हुए। आखिर संसद को किस राह चलाने की तैयारी है? आलोक जोशी के साथ राकेश सिन्हा, शीतल सिंह और मुकेश सिंह।
क्या भारतीय लोकतंत्र खतरे में है। क्यों इसमें सुधार पर विचार किया जाना चाहिए। भारतीय संविधान कई बातों पर मौन क्यों है। कुछ ऐसे ही सवालों को उठाते हुए पत्रकार प्रेम कुमार और सत्य देव चौधरी ने मिलकर इन मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं। आप भी जानिए।
आज गणतंत्र दिवस पर संविधान को बचाने की शपथ लेने का दिन है। आज यह जानना भी जरूरी है कि संविधान बनने के लिए डॉ आंबेडकर ने अपने पहले भाषण में क्या कहा था। सत्य हिन्दी बाबा साहेब के उस भाषण को हूबहू प्रकाशित कर रहा है।
मोदी सरकार हाल ही महंगाई, ईडी की मनमानी के मुद्दे पर कांग्रेस के आंदोलन से डर गई। मात्र इस आंदोलन से डरने वाली सरकार कितनी मजबूत निकली, वो सामने आ गया। इसी से पता चलता है कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में आने पर मनमानी तो कर सकता है लेकिन वो इस मजबूत लोकतंत्र को विलुप्त नहीं कर सकता।
संसद का शीतकालीन सत्र एक दिन पहले ही खत्म हो गया। सरकार ने तमाम विधेयक पास कराने के आंकड़े देकर कहा कि सत्र अपने मकसद में कामयाब रहा। लेकिन विपक्ष के हंगामे की विजह से सत्र ठीक से नहीं चल पाया। राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने भी सांसदों को आत्मनिरीक्षण की सलाह दी। लेकिन यह सवाल तो बनता ही है कि शीतकालीन सत्र को दरअसल किसने नहीं चलने दिया सरकार ने या विपक्ष ने ?