भारतीय संसद अब अपने पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हो चुकी है। मंगलवार को पुराने भवन से सभी सांसद चल कर नए भवन में गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सभी केंद्रीय मंत्री भी पैदल ही नए भवन में गए।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी इस दौरान अपने हाथों में संविधान लेकर चलते दिखे। उनके साथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य सांसद भी थे।
शिफ्टिंग के दौरान लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों ने मंगलवार की सुबह सेंट्रल हॉल के पास एक साथ फोटो सेशन कराया। इस दौरान सरकार और विपक्ष के सभी प्रमुख चेहरे मौजूद थे
इससे पहले मंगलवार को पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में विदाई समारोह का आयोजन किया गया जो कि करीब दो घंटे चला। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 38 मिनट का भाषण दिया।
इसमें उन्होंने कहा कि मेरी मेरी प्रार्थना और सुझाव है कि जब हम नए संसद भवन में जा रहे हैं तो इस पुराने संसद भवन की गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ 'पुराना संसद भवन' कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सब की सहमती हो तो इसे भविष्य में 'संविधान सदन' के नाम से जाना जाए। उन्होंने कहा कि ये सदन ऑर्टिकल 370, तीन तलाक, जीएसटी जैसे बड़े फैसलों के लिए याद रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी सेंट्रल हॉल में तिरंगे और राष्ट्रगान को अपनाया गया था। अब तक लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर लगभग 4 हजार से अधिक कानून पास किए हैं। यह भवन ये सेंट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है। यह हमें भावुक भी करता है और कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। यहीं संविधान सभा की बैठक शुरू हुई और उसके बाद हमारे संविधान ने यहीं पर आकार लिया। यहीं पर 1947 में ब्रिटिश हुकुमत ने सत्ता हस्तांतरण किया था।
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एक नया अध्याय जोड़ने की दहलीज पर खड़े हैं
संसद के विशेष सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, कि हम अपने संसदीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दहलीज पर खड़े हैं। मैं आप सभी को हमारे अभूतपूर्व उत्थान के लिए बधाई देता हूं। हम सभी को इस इतिहास का गवाह बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है क्योंकि हम इस पुराने संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं और नए भवन में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली ढंग से आयोजित जी- 20 के परिणामस्वरूप भारत की वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन हुआ। संसद की नई इमारत, भारत मंडपम और यशोभूमि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली नवीनतम बुनियादी ढांचा उत्कृष्ट कृतियां हैं।महिलाओं को बराबरी का हक मिलने जा रहा
इससे पहले संसद के पुराने भवन स्थित सेंट्रल हॉल में हुए इस विदाई समारोह में सबसे पहले सांसद मेनका गांधी ने भाषण दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 'आज ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलने जा रहा है। संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण होने से हाशिए पर खड़ी महिलाओं की किस्मत बदलेगी।वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज के दिन हम एक ऐतिहासिक घटना के साक्षी बनने जा रहे हैं। अंग्रेजी सरकार से लेकर हमारी आजादी में अब तक हमने इस संसद भवन के शानदार पलों को अनुभव किया है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने हमें 395 आर्टिकल दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस मंच पर खड़े होकर ऊंचा और उत्साहित महसूस कर रहा हूं।
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पुराने संसद भवन को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है
पुराने से नए भवन में संसद की शिफ्टिंग पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा है कि पुराने संसद भवन की विदाई हो चुकी है जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। मुझे संसद के दोनों सदनों में जाने का मौका मिला जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। नए संसद की शुरूआत मंगलवार से की जा रही है जिसका बसपा दिल से स्वागत करती है।उन्होंने कहा कि और आज इस नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा जिसके पक्ष में बसपा सहित कई पार्टियां अपना मत देंगी। बसपा ने महिला आरक्षण बिल को हमेशा समर्थन दिया है। उन्होने कहा कि महिलाओं को जो भी आरक्षण दिया जाता है उनमें से एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों की महिलाओं का कोटा अलग से सुरक्षित करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इन वर्गों के साथ नाइंसाफी होगी। मायावती ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं भी हुआ तब भी बसपा आज पेश होने वाले महिला आरक्षण बिल का समर्थन करेगी।
वहीं महिला आरक्षण विधेयक का समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक पर हमारी हमेशा मांग रही है कि पिछड़े वर्ग की महिलाएं, उच्च जाति की पढ़ी-लिखी महिलाओं का सही तरीके से मुकाबला नहीं कर सकती हैं। इसलिए इन वर्गों की महिलाओं के लिए कोटे के अंदर कोटा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आज केंद्र सरकार हमारी बात नहीं मानेंगे इसके बावजूद हम इसका समर्थन करेंगे। लेकिन हम अपना मुद्दा नहीं छोड़ेंगे।
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