जेडीयू के नेता रहे और मौजूदा राज्यसभा उपसभापति हरिवंश फिर से चर्चा में हैं। जेडीयू द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार के बावजूद हरिवंश कार्यक्रम में आख़िर क्यों पहुँचे?
जेडीयू के एनडीए कैंप से निकलने के बाद नजरें अब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर हैं। हरिवंश की राजनीति, बिहार की राजनीति से जुड़ी है। बिहार की राजनीति देश की आगामी राजनीति से जुड़ी है। समझिए इस महत्वपूर्ण गुत्थी को।
उप सभापति हरिवंश ने सितंबर के आख़िरी पखवाड़े में ही तो राज्यसभा में हंगामे के बीच कृषि बिल को भारी विरोध और हंगामे के बीच पास करा दिया था। उसी नये कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
बिहारी गौरव का लॉलीपॉप आख़िर कब तक? अब हिंदुस्तान की राजनीति में बाग़ी तेवर क्यों नहीं? क्या मौजूदा सरकार में विरोध की जगह नहीं है? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की राज्यसभा उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह से विशेष चर्चा।
राज्यसभा उप सभापति हरिवंश कृषि विधेयकों पर फँसी समूची मोदी सरकार का संकटमोचक बने। जानिए, पारदर्शी समाजवादी पत्रकार से सांसद और फिर उप सभापति बनने तक का कैसा रहा उनका सफर।
कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में समूची सरकार फँसी हुई थी, ऐसे में हरिवंश उसके संकटमोचक बन कर उभरे हैं। उन्होंने सदन की तरफ़ बिना आँख उठाए एक झटके में उस सरकार को उबार दिया जिसकी साँस अटकी हुई थी। यह कोई मामूली बात तो नहीं है।