ज़्यादा दिन की बात तो है नहीं, सितंबर के आख़िरी पखवाड़े में ही तो राज्यसभा में हंगामे के बीच उप सभापति हरिवंश ने कृषि बिल को भारी विरोध और हंगामे के बीच पास करा दिया था। बीस सितंबर ही तो था जब यह ख़बर आई थी। सत्तारूढ़ दल भी बमबम था और हरिवंश और बड़ी कुर्सी की कतार में क़रीब आ गए। हरिवंश बड़े पत्रकार रहे हैं। अपने जैसे छोटे पत्रकार से भी अच्छा ही रिश्ता रहा है। समाजवादी भी रहे हैं। इस वजह से हम सब ने बहुत आलोचना भी की उनकी।