बिहार में जेडीयू जब बीजेपी को छोड़कर एनडीए गठबंधन से बाहर निकला था तो कयास लगाए गए थे कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का क्या होगा? क्या वो अपने पद से इस्तीफा देंगे? ख़ैर ये सवाल तो बिना जवाब आए ही ख़त्म हो गया और वह उपसभापति बने रहे, लेकिन अब फिर से वह चर्चा में हैं। अब जेडीयू ने नये संसद भवन को लेकर उनके रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि क्या बौद्धिकता की जमीर बेच दी। यह नाराजगी इसलिए है कि हरिवंश नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शरीक होने पहुँचे थे।
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पार्टी द्वारा समारोह के बहिष्कार के बावजूद नए संसद भवन के उद्घाटन में हिस्सा लेने पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर निशाना साधा। उन्होंने सोमवार को एक समारोह में हरिवंश की भागीदारी की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह ऐसा कार्यक्रम था जिसमें 'यहां तक कि आपके अध्यक्ष, माननीय उपराष्ट्रपति भी मौजूद नहीं थे'।
नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का जेडीयू ने बहिष्कार किया था। यह उन 20 राजनीतिक दलों में शामिल था, जो नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उन्होंने इसका बहिष्कार इसलिए किया क्योंकि कार्यक्रम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'दरकिनार किया गया' और कहा है कि नये संसद भवन का उद्धाघटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए था। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया। विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम ने अपनी छवि चमकाने के लिए पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान किया है। सेंगोल के मामले में भी विपक्ष आपत्ति जता रहा है।
जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समारोह के बहिष्कार का बचाव करते हुए इसे उन लोगों द्वारा इतिहास को बदलने का प्रयास बताया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं दिया था।
नीरज कुमार ने कहा, 'कहां थे और कहां पहुंच गए। पत्रकारिता जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे, जेडीयू ने उच्च सदन में भेजा। जब लोकतंत्र कलंकित हो रहा था, हमारे पुरखों के इतिहास को हटाने की तैयारी थी...।'
जेडीयू प्रवक्ता ने कहा, 'आने वाला जेनरेशन बौद्धिकता के उस अनुकरणीय व्यक्तितव के प्रति कैसा भाव रखेगी जब पार्टी ने तय कर दिया, नेतृत्व ने तय कर दिया, आपके सभापति कार्यक्रम में नहीं जा रहे थे, जब लोकतंत्र का काला अध्याय लिखा जा रहा था तब आपने उस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी।
माना जा रहा है कि पार्टी अब हरिवंश पर कार्रवाई कर सकती है। प्रवक्ता ने कहा, 'यह शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि पार्टी के बहिष्कार का फैसला करने के बावजूद आपकी भागीदारी को ध्यान में रखते हुए क्या कार्रवाई की जाए। लेकिन आने वाली पीढ़ियां आपके उस कृत्य का क्या करेंगी जो आपके कद के व्यक्ति के लिए अनुचित था।'
हरिवंश राज्यसभा में अपने लगातार दूसरे कार्यकाल में हैं। यह कार्यकाल अगले साल समाप्त हो जाएगा। हरिवंश 2018 से उपसभापति रहे हैं, जब वह पद पर काबिज होने वाले केवल तीसरे गैर-कांग्रेसी सांसद बने। उन्हें जेडीयू ने राज्यसभा भेजा था। जेडीयू ने पिछले साल भाजपा के नेतृत्व वाले राजग से हाथ खींच लिया था और तब से महागठबंधन का हिस्सा है। इस महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं।
झारखंड और बिहार के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों में से एक प्रभात खबर के संपादक के रूप में कार्य करने से पहले हरिवंश ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के मीडिया सलाहकार के रूप में भी कार्य किया था।
हरिवंश ने नए संसद भवन के उद्घाटन को ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय बताते हुए कहा है कि यह इमारत केवल ईंट और पत्थर का ढांचा नहीं है, बल्कि यह भारत के लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने का जरिया है।
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