बता दें कि गुड़गांव में हिंदू संगठनों के लोग बीते कई महीनों से सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज का विरोध करते आ रहे हैं। पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
हिंदू संगठन बीते कई हफ़्तों से गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज़ पढ़े जाने का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा काफ़ी गर्म रहा है।
मुसलमान भारत की राजनीति में पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुके हैं, इस वजह से ही कोई राजनीतिक दल उनके मुद्दे नहीं उठा रहा है। कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य मुहम्मद अदीब का तो यही मानना है। क्या यह सच है?
हिंदू संगठन बीते कई हफ़्तों से गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज़ पढ़े जाने का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा काफ़ी गर्म रहा है।
गुड़गांव में हिंदू संगठनों से जुड़े लोग खुले में नमाज़ पढ़े जाने का लगातार विरोध कर रहे हैं। उन्हें प्रशासन द्वारा चिन्हित की गई जगहों को लेकर भी आपत्ति है।
दिल्ली से सटे गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने के ख़िलाफ़ जिस तरह से कुछ हिंदू संगठनों ने अभियान चलाया उससे कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आख़िर मुसलमानों को खुली जगह क्यों चाहिए? यह सवाल है या आपत्ति?
गुड़गांव में नमाज़ के विरोध को लेकर बीजेपी, विहिप के नेता स्थानीय लोगों के बीच भड़काऊ भाषण दे रहे हैं और जुमे की नमाज़ का विरोध करने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं।