विवादों में रही फ़ेसबुक इंडिया की निदेशक आँखी दास ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके पद छोड़ने की वजह का पता नहीं लग सका है, पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ़ेसबुक ने उन्हें ख़ुद हटने को कहा हो।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के नए भंडाफोड़ ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि अंखी दास फेसबुक में मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ा रही थीं। वे मोदी के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही थीं और मुसलमान-विरोधी पोस्ट न रोकना इसमें शामिल था। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
दुनिया भर में फैले फ़ेसबुक के कर्मचारियों के एक समूह ने कंपनी में आंतरिक तौर पर पत्र लिखकर पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि फ़ेसबुक नेतृत्व मुसलिम विरोधी घृणा को पनपने न दें।
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फ़ेसबुक के साथ बीजेपी के रिश्तों की पोल खोल दी है, लेकिन ये यारी कितनी पुरानी है और कैसे चल रही है? पेश है इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विशेषज्ञ परांजय गुहा ठाकुरता से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत।
फ़ेसबुक पर भारत में बवाल क्यों? कॉंग्रेस हमलावर तो बीजेपी बचाव में उतरी! कॉंग्रेस बीजेपी की लड़ाई के पीछे क्या है?अपने सबसे बड़े बाज़ार में कैसे फँस गया है फेसबुक? आलोक जोशी की टिप्पणी।Satya Hindi
अमेरिकी पत्रिका 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की इस ख़बर के बाद कि फ़ेसबुक ने बीजेपी से जुड़े लोगों की नफ़रत फ़ैलाने वाली पोस्ट को नहीं हटाया, आंखी दास चर्चा में हैं।
फेसबुक पर अमेरिका में ख़बर छपी और भारत में कांग्रेस हुई चौकन्नी! संसदीय समिति ने तलब किया और फ़ेसबुक की कंट्री हेड ने अश्लील धमकियों की रिपोर्ट लिखवाई। कांग्रेस क्यों है परेशान और क्या आपको भी रहना है सावधान? आलोक जोशी के साथ वरिष्ठ पत्रकार और कवि निधीश त्यागी, पत्रकार और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट गिरीश मालवीय और डाटावाणी के अपूर्व भारद्वाज की चर्चा।
वाल स्ट्रीट जर्नल ने बीजेपी नेताओं की ज़हरीली टिप्पणियों को न हटाने के फेसबुक के फ़ैसले को बेनकाब करके कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या बीजेपी और फेसबुक के बीच किसी साठगाँठ के तहत ऐसा चल रहा है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
फ़ेसबुक पर मोदी सरकार की तरफ़दारी का आरोप! अमेरिकी मीडिया में छाई खबर! कॉंग्रेस ने जेपीसी जाँच की माँग की। सुप्रीम कोर्ट के वकील और आईटी क़ानून के जानकार विराग गुप्ता से आलोक जोशी की बातचीत।
अमेरिकी अख़बार द वाल स्ट्रीट जर्नल की सोशल मीडिया कंपनी फ़ेसबुक से जुड़ी रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। भारत ही नहीं, विदेशों में भी फ़ेसबुक पर ज़हरीली पोस्ट सवालों के घेरे में हैं।
फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आँखी दास ने पुलिस से शिकायत की है कि उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं और उनकी जान को ख़तरा है। वाल स्ट्रीट जर्नल के एक ख़ुलासे के बाद आँखी दास विवादों में घिर गयी हैं।