विवादों में रही फ़ेसबुक इंडिया की निदेशक आँखी दास ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके पद छोड़ने की वजह का पता नहीं लग सका है, पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ़ेसबुक ने उन्हें ख़ुद हटने को कहा हो।
आँखी दास सुर्खियों में तब आईं जब वाल स्ट्रीट जर्नल ने यह ख़बर छापी थी कि उनके कहने पर ही फ़ेसबुक ने एक बीजेपी विधायक के मुसलिम विरोधी पोस्ट को नहीं हटाया। उस ख़बर में कहा गया था कि तेलंगाना विधायक के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट का पता फ़ेसबुक इंडिया की अंदरूनी टीम ने लगा लिया था और उसे हटाने की सलाह दी थी। पर आँखी दास ने कहा था कि ऐसे करने से भारत सरकार से कंपनी के रिश्ते ख़राब होंगे और इससे फ़ेसबुक के इस देश में व्यापारिक प्रभावित होंगे।
ख़बर के अनुसार, तेलंगाना के एक मात्र बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने फ़ेसबुक पोस्ट में कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को गोली मार दी जानी चाहिए।' उन्होंने मुसलमानों को 'विश्वासघाती' क़रार दिया और धमकी दी कि वह 'मसजिदों को ढहा देंगे।'
फ़ेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा था कि 'आँखी दास ने तर्क दिया था कि टी. राजा सिंह को ख़तरनाक व्यक्ति के रूप में चिन्हित करने का राजनीतिक असर पड़ेगा और कंपनी को देश में कामकाज करने में दिक्क़त होगी।'
राजनीतिक तूफान
इस पर राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ था। कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि बीजेपी और आरएसएस ने भारत में फ़ेसबुक और वॉट्सऐप पर नियंत्रण कर रखा है।
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता रवि शंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि जो लोग खुद हारे हुए हैं और जिनकी बात उनकी ही पार्टी में लोग नहीं सुनते, उन्हें शिकायत है कि बीजेपी और आरएसएस पूरी दुनिया को नियंत्रित करते हैं।
ज़करबर्ग को ख़त
इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने फ़ेसबुक प्रमुख मार्क ज़करबर्ग को एक शिकायती चिट्ठी लिखी थी। उसके जवाब में बीजेपी ने भी एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि फ़ेसबुक के कर्मचारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अशालीन भाषा का प्रयोग करते हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी ख़बर में यह भी कहा था कि फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में वॉट्सग्रुप पर ग्रुप बनाया गया था और उस ग्रुप के ज़रिए हिंसा के लिए लोगों को उकसाया गया था, लोगों को भड़काया गया था। वॉट्सऐप फ़ेसबुक का ही सोशल मीडिया ऐप है।
पहली बार नहीं
फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट इसके पहले भी होते रहे हैं। बीजेपी के कई लोगों ने इस तरह के पोस्ट किए हैं। कर्नाटक से बीजेपी के नेता अनंत कुमार हेगड़े ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में कहा था कि मुसलमान 'कोरोना जिहाद' चला रहे हैं और जानबूझ कर कोरोना रोग फैला रहे हैं। इसी तरह कुछ लोगों ने फ़ेसबुक पोस्ट कर तबलीग़ी जमात को कोरोना फैलने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।
फ़ेसबुक इंडिया पर यह आरोप भी लगा था कि उसने असम के बीजेपी नेता के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को जानबूझ कर नहीं हटाया। फ़ेसबुक ने इसे मान लिया है।
हेट पोस्ट
मशहूर अमेरिकी पत्रिका 'टाइम मैगज़िन' ने एक ख़बर में दावा किया है कि असम के बीजेपी विधायक शिलादित्य देव ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाला था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 'एक मुसलमान आदमी ने एक बंगाली लड़की को नशा खिला दिया और उसके बाद उसके साथ बलात्कार किया।' इसके बाद शिलादित्य देव ने लिखा, 'ये बांग्लादेशी मुसलमान हमारे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं।'
'टाइम' का कहना है कि यह घटना 2019 की है, उसके बाद एक साल तक फ़ेसबुक ने इस पोस्ट को नहीं हटाया।
चुनावों को प्रभावित किया?
फ़ेसबुक पर अब कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के प्रयास का आरोप लगा था। फ़ेसबुक के ही एक पूर्व कर्मचारी ने यह आरोप लगाया है। इसमें दिल्ली चुनाव भी शामिल है।
हाल ही में फ़ेसबुक से निकाले गए इस कर्मचारी ने कंपनी के एक आंतरिक मेमो यानी ज्ञापन में कहा है कि फ़रवरी में दिल्ली चुनावों को प्रभावित करने का एक प्रयास फ़ेसबुक पर किया गया था, जिसे गुपचुप तरीक़े से हटा लिया गया।
कामकाज पर सवाल
इस विवाद के साथ ही यह सवाल उठ खड़ा हुआ था कि इस बेहद लोकप्रिय सोशल मीडिया वेबसाइट पर किस तरह राजनीतिक सामग्री नियंत्रित होती है। इस मुद्दे पर कंपनी के अंदर भी सवाल उठा था और कर्मचारियों के वर्ग ने खुल कर विरोध किया था।
सत्तारूढ़ दल से फ़ेसबुक इंडिया की दोस्ती कब से है, जानने के लिए देखें यह वीडियो, सत्य हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार मुुकेश कुमार को बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता।
फ़ेसबुक इंडिया की निदेशक को बीते हफ़्ते सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसद की स्थायी समिति के सामने पेश होना पड़ा था। उनसे दो घंटे तक पूछताछ की गई थी।
एनडीटीवी के अनुसार, उन्हें कहा गया था कि फ़ेसबुक लोगों के निजी डेटा का इस्तेमाल विज्ञापन, राजनीतिक कारणों या व्यावसायिक कारणों से नहीं कर सकती है। इस संसदीय समिति में सभी दलों के सांसद थे और सबने लगभग एक सुर में फ़ेसबुक को चेतावनी दी थी।
गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।
नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & Norms व Cancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 6 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 180 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 6 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 12 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से एक वर्ष के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 12 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष निमंत्रण (Special Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
* स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष आरक्षित प्रीमियम निमंत्रण (Specially Reserved Premium Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
अति विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
** स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
This membership is open only to Non Resident Indians (NRI), Persons of Indian Origin (PIO), Overseas citizens of India (OCI) or Indian Citizens currently staying abroad. If you are not belong to any of these categories, please do not proceed.
*Membership will be cancelled if the above declaration is found to be false and Membership Fee will be refunded to the source account which was used to pay it.
अपनी राय बतायें