उत्तराखंड में नगर निकाय के लिए हुए चुनावों में सत्ताधारी बीजेपी ने 34 निकायों में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के ख़राब प्रदर्शन से उबरते हुए वापसी की है और उसे 26 निकायों में जीत मिली है। 23 निकायों में निर्दलीयों ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया है।
कम हुआ मोदी मैजिक का असर
राज्य में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी पांचों सीटों पर जीत दर्ज़ की थी। इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 57 सीटों पर शानदार जीत मिली थी और कांग्रेस को सिर्फ़ 11 सीटों पर सिमटना पड़ा था। इस लिहाज़ से देखा जाए तो कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ है और बीजेपी का ख़राब। कहा जा सकता है कि निकाय चुनावों में मोदी मैजिक का असर कम हुआ है जबकि बीजेपी के रणनीतिकारों को भरोसा था कि इस चुनाव में भी पार्टी विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराएगी। इस प्रदर्शन से कांग्रेस को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले थोड़ी हिम्मत ज़रूर मिली है। राज्य निर्वाचन आयोग से मिले परिणामों के अनुसार, प्रदेश के सात नगर निगमों के मेयर पदों में से पांच पर भाजपा को जीत मिली जबकि दो पर बाजी कांग्रेस के हाथ लगी। नगर निगमों में देहरादून, ऋषिकेश, रुद्रपुर, काशीपुर व हल्द्वानी में भाजपा ने जीत दर्ज, जबकि कोटद्वार और हरिद्वार में कांग्रेस को जीत मिली है। पार्षद, सभासद व सदस्य पदों में निर्दलीयों ने 551, भाजपा ने 323 व कांग्रेस ने 181 सीटों पर जीत हासिल की।
बीजेपी-कांग्रेस के अपने-अपने दावे
नगर निकायों के चुनावों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जनता ने सरकार के काम पर मोहर लगाई है। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि उसने हर सीट पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है और बीजेपी की एकतरफा जीत के भ्रम को तोड़ने का भी काम किया है। उनके अनुसार, कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन से यह साफ कर दिया है कि पार्टी किसी भी चुनौती से सामना करने में सक्षम है।
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