बीजेपी और कांग्रेस ने मांग की है कि मणिपुर में मतदान की एक तारीख़ को बदल दिया जाए। इसके पीछे उन्होंने धार्मिक कारणों का हवाला दिया है। मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और 3 मार्च को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि 27 फरवरी को रविवार है और यह दिन ईसाई समुदाय के लिए धार्मिक महत्व का है। कांग्रेस के नेता निंगोमबम भूपेंदा मैती ने कहा कि रविवार का दिन ईसाइयों के लिए बेहद पवित्र है और वे इस दिन चर्च जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह इस तारीख़ यानी 27 फरवरी पर विचार करे और रविवार के दिन के अलावा किसी भी दिन को लेकर कोई समस्या नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव आयोग ने पंजाब में तारीख़ को बदल दिया था और हमें उम्मीद है कि वह यहां भी ऐसा करेगा।
पंजाब में आगे बढ़ाई तारीख़
बता दें कि पंजाब में पहले 14 फरवरी को मतदान होना था लेकिन वहां सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि गुरु रविदास जी की जयंती को देखते हुए मतदान की तारीख़ आगे बढ़ा दी जाए। इस बारे में चुनाव आयोग ने विचार करने के बाद फैसला लिया कि अब मतदान 14 नहीं 20 फरवरी को कराया जाएगा।
मणिपुर में बीजेपी के महासचिव देवेन लैंगपोक्लाकपाम ने भी कहा है कि वे चुनाव आयोग से इस बारे में विचार करने की अपील करेंगे।
इसके अलावा ऑल मणिपुर क्रिश्चियन आर्गेनाइजेशन ने भी चुनाव आयोग से यही मांग की है। इस संगठन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वे चुनाव आयोग से अपील करते हैं कि वह ईसाइयों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे।
41 फ़ीसदी ईसाई मतदाता
संगठन की ओर से कहा गया है कि अगर 27 फरवरी को मतदान होता है तो इसे उनकी भावनाएं आहत होंगी। राज्य की कुल आबादी 30 लाख के आसपास है और इसमें से 41 फ़ीसदी ईसाई मतदाता हैं। देखना होगा कि चुनाव आयोग इस संबंध में क्या फैसला लेता है।
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