loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

आगे

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

आगे

मणिपुर सीएम के बाद एनडीए के 7 विधायक दिल्ली में क्यों? 

क्या मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन होगा? क्या मौजूदा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देना होगा?  मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इन अटकलों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी और सहयोगी दलों के कुछ विधायक दिल्ली में हैं, लेकिन उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि उनके दौरे का उनके इस्तीफे की अटकलों से कोई संबंध है। बीरेन सिंह की इस सफाई के बीच यह सवाल तो उठ ही रहा है कि आखिर संसद के मौजूदा सत्र के बीच वे दिल्ली में क्यों पहुँच गए?

मणिपुर के एनडीए विधायकों का एक समूह शुक्रवार को दिल्ली पहुंचा है। माना जा रहा है कि राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष के समाधान के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए यह समूह राजधानी में है। एक रिपोर्ट के अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट के कम से कम सात विधायक शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। 

ताज़ा ख़बरें

यह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा एनडीए विधायकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करने के एक दिन बाद हुआ है। उस बैठक में 10 कुकी-ज़ोमी विधायक शामिल नहीं हुए थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि यह मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए था। उपस्थित लोगों में भाजपा, एनपीएफ, एनपीपी और जेडीयू के विधायक शामिल थे। अख़बार ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कई विधायकों ने संकट से निपटने के तरीके पर असंतोष व्यक्त किया और जनता से महसूस किए जा रहे दबाव से अवगत कराया। 

पिछले साल 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़की थी। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव हिंसा में बदल गया था। शुरू के तीन दिनों में कम से कम 52 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल 3 मई को मणिपुर में पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और नग्न परेड कराने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। महिलाओं का एक वीडियो पिछले साल जुलाई में वायरल हुआ था। एक खेत की ओर जाते समय पुरुषों को महिलाओं को घसीटते और उनका यौन उत्पीड़न करते देखा गया था।

पिछले एक वर्ष के दौरान यहां जारी हिंसा में 226 लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 20 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल हैं। करीब 1500 घायल हुए हैं। वहीं 60 हजार लोग इस हिंसा के कारण राज्य के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। इसके साथ ही 13247 आवास, दुकान, समेत अन्य संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। 
मारे गए लोगों के अलावा करीब 28 लोग अब भी लापता हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि या तो उनका अपहरण हुआ है या उनकी हत्या कर दी गई है।
पिछले कुछ दिनों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि बीरेन सिंह पर अपने ही कुछ विधायकों से भारी दबाव है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार ख़बरें हैं कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों नगा पीपुल्स फ्रंट यानी एनपीएफ, नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी और जेडीयू के विधायकों का एक वर्ग मुख्यमंत्री के इस्तीफे पर दबाव बना रहा है। वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 2017 में बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा नेतृत्व को उनकी जगह किसी और को लाने के लिए मनाने की कई बार कोशिशें की गईं और पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद इसमें तेजी आई।
राज्य से और ख़बरें

बहरहाल, शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे भाजपा विधायकों में से एक के इबोमचा सिंह ने कहा है कि विधायक केंद्रीय नेतृत्व से शिष्टाचार भेंट करने आए थे। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'कल हमने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एनडीए विधायकों की एक बैठक की थी, और उसमें हमने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से शिष्टाचार भेंट के रूप में मिलने और राज्य में समस्या का सम्मानजनक समाधान लाने के लिए एक नया अनुरोध दर्ज करने का निर्णय लिया। कुछ अन्य लोग कल (शनिवार को) आएंगे।'

उन्होंने कहा, 'मणिपुर का मुद्दा नई केंद्र सरकार के 100 दिन के कार्यक्रम में शामिल है, इसलिए हमने इसका समाधान निकालने के लिए केंद्रीय नेताओं से बात करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि यह प्राथमिकता सूची में शामिल है।' विधायकों के दिल्ली आने से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या राज्य सरकार के लिए कोई मुश्किल खड़ी हो रही है। हालाँकि, मुख्यमंत्री ने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भी इसे प्रधानमंत्री से शिष्टाचार भेंट बताया।

सम्बंधित खबरें
बता दें कि मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं, जिनमें से 10 कुकी-ज़ोमी समुदाय से हैं। इनमें एनडीए के आठ शामिल हैं, जो हिंसा भड़कने के बाद से विधानसभा में भाग नहीं ले रहे हैं। अन्य 50 विधायकों में से केवल पांच विपक्षी कांग्रेस के हैं और दो निर्दलीय विधायक हैं, जबकि बाकी एनडीए के साथ हैं। भाजपा ने 2022 में 60 विधानसभा सीटों में से 32 सीटें जीती थीं, लेकिन उस साल बाद में जेडीयू के पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राज्य से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें