केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोना चढ़ाने में कथित करोड़ो रुपए के घोटाले मामले में आरोपों की जांच के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति बनाई है। जो गढ़वाल के आयुक्त के नेतृत्व में जांच करेगी। राज्य के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने एक बयान में कहा है कि जांच समिति मामले की तह तक जाएगी। जांच कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही स्वर्णकार भी शामिल होंगे।मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम, 1939 के प्रावधानों के अनुसार ही दान लिया गया था। सोने की परत चढ़ाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति भी ली गई थी। सोना चढ़ाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया था। एक दानदाता ने सोना खरीदा और इसे गर्भगृह की दीवारों पर जड़वाया। उन्होंने कहा कि इसमें मंदिर समिति की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। विपक्षी दल मामले को जबरन तूल देकर चारधाम यात्रा में खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या था कथित सोना घोटाले का मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने मंदिर को दान में मिला सोना चोरी होने का आरोप लगाया था। यह सोना मुंबई के एक व्यापारी ने दान किया था और इसे मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर परत के रूप में लगाया गया था। वहीं केदारनाथ मंदिर समिति का कहना है कि बिना तथ्यों के भ्रामक और गलत जानकारी फैलाई जा रही है। मंदिर समिति ने बकायदा प्रेस रिलिज जारी कर आरोपों का खंडन किया है।
कांग्रेस ने भी की थी मामले की जांच की मांग
वहीं, इस मामले की जांच की मांग कांग्रेस ने भी की थी। उत्तराखंड कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कई सवाल उठाएं थे। उत्तराखंड कांग्रेस ने सवाल पूछा था कि, पहले प्रचारित किया गया कि 230 किलो के सोने से यह स्वर्णमंदित होगा अगर यह 230 किलो नहीं था तो मंदिर समिति ने खंडन क्यों नहीं किया? मंदिर समिति कह रही है 23 किलो है तो हम पूछना चाहते हैं कि 23 किलो का माप उन्हे कहां से मिला? किस विशेषज्ञ से उन्होंने इस सोने की जांच करवाई? क्या अन्य मंदिरों में भी सोने के ऊपर किसी परत का इस्तेमाल किया जाता है?
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