गुजरात में 14 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार के अभियुक्त से जुड़े दावों पर सवाल उठने लगे हैं। साबरकांठा के एक सेरैमिक कारखाने में काम करने वाले रवींद्र साहु पर बलात्कार का आरोप लगा था। उसके बाद ही बाहर से आए लोगों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की मुहिम शुरू हो गई थी। उसके साथ ही जगह जगह उन पर हमले होने लगे और वे कामकाज छोड़ भागने को मज़बूर हुए। लेकिन इस पूरे मामले पर ही सवाल उठते हैं।
जिस लड़के पर बलात्कार का आरोप लगा है, वह नाबालिग है। वह मानसिक रूप से बीमार भी है।
बिहार के सारण ज़िले के सोनबरसा पंचायत का यह किशोर पहले उसी पंचायत के मुखिया दलन प्रसाद यादव के यहां काम करता था। यादव ने कहा है कि वह लड़का मानसिक रूप से ठीक नहीं था, कही गई बातों को भूल जाता था और हमेशा मनमर्जी ही किया करता था। यह सोचा भी नहीं जा सकता कि वह बलात्कार कर सकता है।
'मेरा बेटे को फांसी दे दो'
माझी ब्लॉक के नटवर कंगोई गांव में रहने वाले उसके परिवार के लोग सदमे में हैं। वह तकरीबन दो साल पहले किसी बात पर रूठ कर घर से भाग गया था और गांव के ही कुछ दोस्तों के साथ गुजरात चला गया था।उसकी मां रमावती देवी बेहद दुखी हैं। उन्होंने गांव गए पत्रकारों से कहा, ‘यदि मेरा बेटा दोषी है तो उसे फांसी पर लटका दो, पर सभी बिहारियों को निशाना मत बनाओ।’ वे भी कहती हैं कि वह लड़का मानसिक रूप से कमज़ोर था। साबरकांठा बलात्कार कांड को बहाना बना कर ही बाहर से गए लोगों को गुजरात से खदेड़ने का काम किया गया था।समझा जाता है कि बलात्कार को बहाना बना कर गुजरातियों को राजनीतिक वज़हों से एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। यह ऐसा ही कुछ है जैसे महाराष्ट्र में सियासी कारणों से बिहार, उत्तर प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया गया था।
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