राम की गंगा मैली है, मैली थी नहीं, हो गयी है । पापियों के पापों को धोने से भी और बेशर्मी से अपशिष्ट बहाने से भी । अब इसी गंगा में सरकार को जगाने के लिए देश के खिलाड़ी अपने मेडल बहाना चाहते थे, लेकिन भला हो नरेश टिकैत का कि उसने खिलाड़ियों को ऐसा न करने के लिए मना लिया । खिलाड़ी समझदार हैं, संवेदनशील हैं इसलिए मान गए । यदि वे भी हमारी सरकार की तरह संज्ञाहीन और असंवेदनशील होते तो शायद नहीं मानते ।
खिलाड़ी निराश न हो, एक दिन इस देश की आत्मा जागेगी !
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- 29 Mar, 2025
पहलवानों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर राम अचल ने भी कलम चलाई है। पढ़िए उनके उद्गारः
