भारतीय कुश्ती महासंघ की जनरल काउंसिल की रविवार को बैठक को अचानक रद्द कर दिया गया है। इस बैठक को आज ही यानी रविवार को अयोध्या में आयोजित करना तय किया गया था। ऐसा फ़ैसला तब लिया गया है जब भारतीय कुश्ती महासंघ यानी डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुछ कोचों पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। बृजभूषण शरण सिंह यौन शोषण के आरोपों पर इस जनरल काउंसिल की बैठक में अपना पक्ष रखने वाले थे।
कहा जा रहा है कि इस बैठक को टालने का फ़ैसला खेल मंत्रालय की रोक के कारण लिया गया। मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि उसने डब्ल्यूएफआई को तत्काल प्रभाव से सभी गतिविधियों को निलंबित करने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि 4 सप्ताह तक अब इस बैठक का आयोजन नहीं हो सकेगा।
खेल मंत्रालय ने शनिवार को एक ओवरसाइट कमेटी का गठन किया है, जिसमें कुछ पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच करने के लिए विनेश फोगट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, अंसु मलिक और रवि कुमार दहिया को शामिल किया गया है।
ओवरसाइट कमेटी डब्ल्यूएफआई और उसके अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच करेगी और जाँच पूरी होने तक फेडरेशन के दैनिक कामकाज को भी संभालेगी। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को पुष्टि की कि बृजभूषण जांच पूरी होने तक महासंघ से दरकिनार रहेंगे। माना जा रहा था कि बृजभूषण रविवार को होने वाली बैठक के बाद इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने बुधवार को डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
विनेश फोगट का कहना है कि महिला पहलवानों को राष्ट्रीय शिविरों में कोच और डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय शिविरों में नियुक्त कोचों में से कुछ, वर्षों से महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं।
विनेश ने दावा किया कि "कई युवा महिला पहलवानों ने मुझसे राष्ट्रीय शिविरों में यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। मैं कम से कम 20 लड़कियों को जानती हूं जिन्हें राष्ट्रीय शिविर में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। आज यह कह रही हूं, मुझे नहीं पता कि मैं कल जीवित रहूंगी या नहीं। डब्ल्यूएफआई के लोग काफी ताकतवर हैं।' हालाँकि बृजभूषण ने इन आरोपों को खारिज किया है।
डब्ल्यूएफआई ने शनिवार को यौन उत्पीड़न सहित सभी आरोपों से इनकार किया। दावा किया गया कि खेल निकाय में मनमानी और कुप्रबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है।
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