कप्तान के तौर पर राहुल द्रविड़ की शुरुआत बेहद संवेदनशील माहौल में हुई थी। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और कोच ग्रेग चैपल के बीच 36 के आँकड़े की बात जग-ज़ाहिर हो चुकी थी। द्रविड़ के लिए मुश्किल ये थी कि वो दादा का खुलकर साथ दें या फिर अपने चहेते कोच चैपल का। 2005-2007 के उस हलचल वाले दौर को द्रविड़ ने बेहद संजीदगी से निकाला और ना तो कभी गांगुली ने उन पर हमले किये और ना ही चैपल ने। उल्टे, गांगुली ने तो इस साल बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर उनकी फिर से भारतीय ड्रेसिंग रूम में वापसी करायी तो वहीं चैपल इस ख़बर से इतने उत्साहित थे कि उन्होंने बीसीसीआई की आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार तक भी नहीं किया अपने साथी द्रविड़ को बधाई देने के लिए।