1970-80 के दशक में अगर किसी खिलाड़ी को भारत के लिए कप्तानी का दावा पेश करना पड़ता था तो उस खिलाड़ी को इस काबिलियत की झलक रणजी ट्रॉफी में अपने राज्य के लिए पहले दिखानी पड़ती थी। 1995-2005 वाले दशक में सीमित ओवर वाले घरेलू टूर्नामेंट यानी चैलेंजर्स ट्रॉफ़ी में इंडिया ए और बी नाम की दो और टीमें बना दी जाती थीं और देखा जाता था कि भविष्य के कप्तान कौन हो सकते हैं। अब वो दौर ख़त्म हो चुका है और इसकी जगह आईपीएल ने ली है। कोई भी कप्तान आईपीएल में कैसे अपनी टीम को जीत दिलाता है और किस अंदाज़ में टीम को एक सूत्र में बांधे रखता है, उसकी झलक आईपीएल में दिखाई देती है। 2008 में जब ऑस्ट्रेलियाई शेन वार्न ने राजस्थान रॉयल्स में बच्चों से भरी टीम को अपनी कप्तानी के ज़रिए चैंपियन बनवा दिया तो पूरी दुनिया ने यह महसूस किया कि ऑस्ट्रेलिया के लिए वार्न को नियमित तौर से कप्तानी नहीं देने का उस मुल्क को कितना नुक़सान हुआ होगा।
रोहित शर्मा भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान क्यों नहीं?
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- 12 Nov, 2020

गौतम गंभीर ने साफ़-साफ़ कहा है कि अगर रोहित को सफेद गेंद की कप्तानी भारत के लिए नहीं मिलती है तो नुक़सान मुंबई के बल्लेबाज़ का नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट का है। क्या अब वक़्त आ गया है कि गंभीर की राय पर ग़ौर फरमाते हुए भारतीय चयनकर्ता कम से कम सफेद गेंद की रोहित को कप्तानी की ज़िम्मेदारी देने के बारे में सोचें? अपना दावा पेश के लिए रोहित ने क्या किया है?