गिलास आधा भरा या आधा खाली? पार्थिव पटेल के रिटायरमेंट के बाद क्रिकेट फैंस की सोच कुछ वैसी ही हो सकती है। क्या इस बात पर अफसोस जताया कि 17 साल की उम्र में सबसे युवा विकेटकीपर के तौर पर टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पार्थिव पटेल ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया या फिर एम एस धोनी जैसे दिग्गज की मौजूदगी के बावजूद इस खिलाड़ी ने क्रिकेट से हार नहीं मानी और लगातार वापसी की उम्मीद में ख़ुद को बेहतर करता गया। पार्थिव के चलते पहली बार घरेलू क्रिकेट की फिसड्डी मानी जाने वाली टीम गुजरात ना सिर्फ़ 2016-17 में चैंपियन बनी बल्कि इसने मुंबई जैसी टीम को फ़ाइनल में मात दी। सिर्फ़ 4 टीमों ने मुंबई को रणजी फ़ाइनल में हराया था।
दुनिया के लगभग हर क्रिकेटर की तरह पार्थिव पटेल की भी यही तमन्ना थी कि मैदान के बाहर से संन्यास लेने की बजाए मैदान से लेते। लेकिन, इस साल जब आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें एक भी मैच में खेलने का मौक़ा नहीं दिया, नहीं तो शायद वह आईपीएल के दौरान ही क्रिकेट को बाय बाय कर सकते थे।
इसे महज़ इत्तिफ़ाक़ ही कहा जा सकता है कि जब-जब भारतीय क्रिकेट में पार्थिव पटेल का ज़िक्र होगा, धोनी का नाम भी अनायास उस चर्चा में जुड़ जाएगा।
लेकिन, धोनी के साये के बावजूद अपनी एक पहचान बनाना पटेल के करियर की एक ख़ास बात रही। आख़िर जब धोनी का भारतीय क्रिकेट में दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था, पटेल अंडर-19 टीम की कप्तानी कर चुके थे और अपना पहला रणजी मैच खेलने से पहले 19 टेस्ट मैच देश के लिए खेल चुके थे। और यह सब कुछ हुआ 20 साल की उम्र से पहले ही।
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क्रिकेट में अक्सर खिलाड़ियों का मूल्यांकन उनके आँकड़ों के ज़रिए आसानी से कर दिया जाता है। लेकिन, क्रिकेटर के तौर पर पार्थिव 11240 फ़र्स्ट क्लास रन, 27 शतक, 62 अर्धशतक, 486 कैच और 77 स्टंपिंग से कई गुणा बेहतर खिलाड़ी थे। टेस्ट क्रिकेट में 6 अर्धशतक बनाने वाले पार्थिव का रावलपिंडी टेस्ट में ओपनर के तौर पर अर्धशतक बनाकर सीरीज़ जिताने में अहम भूमिका निभाना यादगार खेल रहा। इतना ही नहीं, अपने पहले ही टेस्ट की दूसरी पारी में नाज़ुक लम्हे में 60 गेंदों पर 19 रन बनाकर उन्होंने टेस्ट ड्रॉ करवाया जिसके चलते भारत ने सीरीज़ में वापसी की।
पार्थिव उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जो अपने साथी खिलाड़ियों की कामयाबी से परेशान नहीं होते हैं। मौजूदा टेस्ट विकटकीपर रिद्धिमान साहा को उन्होंने हमेशा ख़ुद से बेहतर कीपर बताया। धोनी से कोई तुलना या शिकायत नहीं रही।
पटेल ने मुझे हाल ही में बातचीत के दौरान एक दिलचस्प बात बतायी।
अपना पहला टेस्ट खेलने के बाद जब वह ड्रेसिंग रूम में लौटे तो तेंदुलकर उनके बगल में बैठे और पार्थिव को कहा कि वो उनके टैम्प्रामेंट से काफ़ी प्रभावित हुए। ये शानदार टैम्प्रामेंट ही था जिसने पटेल को 13 साल के आईपीएल में 6 टीमों के साथ खेलने का मौक़ा दिया जिसमें से 3 के साथ वो चैंपियन भी बने।
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