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पेरिस में जेवलिन थ्रो के विजेता बाएं से नीरज चोपड़ा, अरशद नदीम और एंडरसन पीटर्स

पेरिस ओलंपिक 2024ः भारत के नीरज चोपड़ा को सिल्वर, पाकिस्तान के अरशद नदीम को गोल्ड

भारत के नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) मुकाबले में 89.45 मीटर भाला फेंक कर सिल्वर मेडल जीता। हालाँकि, पाकिस्तान के अरशद नदीम ने बेहतर प्रदर्शन किया और 92.97 मीटर का नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वह अब पाकिस्तान के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता हैं। ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने कांस्य (88.54 मीटर) जीता है।

अरशद नदीम ने नॉर्वे के एंड्रियास थोरकिल्ड्सन द्वारा 2008 बीजिंग ओलंपिक में बनाए गए 90.57 के पिछले ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया। तीन साल पहले टोक्यो गेम्स में गोल्ड जीतने वाले नीरज का प्रदर्शन पेरिस में बेहतर रहा लेकिन वो अरशद के रेकॉर्ड को तोड़ नहीं पाए। नीरज चोपड़ा भले ही सिल्वर पदक से खुश नहीं हों लेकिन उन्होंने भारत के लिए इतिहास रच दिया है। वह ओलंपिक में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।

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इस बार पेरिस में पाकिस्तान के अरशद नदीम का प्रदर्शन असाधारण था। नदीम ने 90 मीटर के निशान को दो बार पार किया। एक 92.97 मीटर और दूसरा 91.79 मीटर था। जब आप किसी प्रतियोगिता में ऐसा दो बार करते हैं तो वो असाधारण प्रदर्शन होता है। ऐसा नहीं है कि नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन खराब था, उन्होंने गोल्ड सिर्फ इसलिए गंवा दिया क्योंकि अरशद नदीम ने फाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया। नीरज का 89.45 मीटर जिसने उन्हें सिल्वर मेडल जीतने में मदद की, वह उनके सीज़न का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
नीरज का पहला थ्रो फाउल था। लेकिन नीरज के चेहरे पर कोई तनाव नहीं था। बारह मिनट बाद, उन्होंने एक बड़ा थ्रो किया - जो उनके सीज़न का सर्वश्रेष्ठ थ्रो बन गया। इसी थ्रो ने उन्हें सिल्वर दिलाया। हालांकि बाद के थ्रो में वो उतना बेहतर नहीं कर पाए। लेकिन जब आप एक बार सर्वश्रेष्ठ कर लें तो दूसरी बार भी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद बढ़ जाती है। अरशद नदीम का प्रदर्शन नीरज से इसलिए बेहतर माना गया कि अरशद ने फाउल कम किया और दोनों थ्रो में वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया।
पुरुषों के भाला फेंक फाइनल के बाद एनडीटीवी से बात करते हुए, नीरज ने स्वीकार किया कि अरशद के साथ भगवान का आशीर्वाद अधिक था, इसलिए उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। नीरज ने कहा, "उन्होंने बेहतरीन थ्रो किया। खेल में, कभी-कभी आपका दिन होता है, कभी-कभी यह किसी और का होता है। शायद भगवान का आशीर्वाद आज अरशद के साथ अधिक था। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और मैं जिस दूरी तक थ्रो करने में कामयाब रहा उससे खुश हूं।"

टोक्यो गेम्स के विपरीत, जहां स्टेडियम ज्यादातर खाली थे, नीरज को पेरिस में भारी भीड़ का समर्थन मिला। नीरज ने कहा-  "मैं व्यक्तिगत रूप से भीड़ को बहुत पसंद करता हूं। टोक्यो में, स्टेडियम खाली थे लेकिन वहां बहुत सारे लोग थे। मैं भीड़ के दबाव का आनंद लेता हूं और महसूस करता हूं कि यह मुझसे सर्वश्रेष्ठ चाहता है। फाइनल के लिए मुझे खुद पर भरोसा था, लेकिन यह (सिल्वर पदक) मेरे भाग्य में लिखा था।”

नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम दोनों ही अच्छे दोस्त हैं। टोक्यो गेम्स में नीरज को गोल्ड मेडल मिला था। नदीम टोक्यो में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्हें चोट लगी हुई थी। सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा था। ऐसे में नीरज चोपड़ा ने पहल की और सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वालों का मुंह बंद कराया था।

नदीम के पिता पाकिस्तान में मजदूरी करते हैं। उनके परिवार को अपनी पसंद का खाना पकाने के लिए पूरा दिन संघर्ष करना पड़ता है। नदीम सात भाई-बहनों में से तीसरे नंबर पर है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक जब पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल बोर्ड यह तय कर रहा था कि पेरिस ओलंपिक के लिए जाने वाले सात एथलीटों में से किसे फंड देना है, तो केवल अरशद नदीम और उनके कोच को ही फंड के लिए योग्य माना गया। नदीम और उनके कोच सलमान फ़ैयाज़ बट भाग्यशाली थे, जिनके हवाई टिकटों की फंडिंग पीएसबी (पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड) द्वारा की गयी थी। गुरुवार को, पंजाब क्षेत्र के खानेवाल गांव के 27 वर्षीय खिलाड़ी अरशद नदीम ने ओलंपिक रिकॉर्ड और धरती पर सबसे बड़े खेल मंच पर पाकिस्तान का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर विश्वास का बदला चुकाया।

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पीटीआई ने अरशद के पिता मुहम्मद अशरफ से बात की थी। अशरफ ने पीटीआई को बताया था- "लोगों को पता नहीं है कि अरशद आज इस जगह तक कैसे पहुंचे। उनके साथी ग्रामीण और रिश्तेदार कैसे पैसे दान करते थे ताकि वह अपने प्रशिक्षण और कार्यक्रमों के लिए दूसरे शहरों की यात्रा कर सकें।" कुछ महीने पहले जब अरशद ने अपनी ट्रेनिंग के लिए अपने पुराने भाले को नए से बदलने के लिए पाकिस्तान के अधिकारियों से अपील की, तो नीरज चोपड़ा ने तुरंत सोशल मीडिया पर नदीम का समर्थन किया था। खेलों में सरहदें नहीं देखी जातीं। यह बात नीरज और अरशद साबित कर रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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