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ओलंपिक की शुरुआत से पहले खेलमय हुआ पेरिस! 

खेलों के महाकुंभ पेरिस ओलंपिक 2024 शुरू होने जा रहा है। भारत के 117 खिलाड़ी इस वैश्विक टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं। पढ़िए, पेरिस से आशुतोष देशमुख की आँखों देखी रिपोर्ट....
आशुतोष देशमुख

अब से चंद घंटों में पेरिस ओलंपिक की शुरुआत हो रही है और पेरिस इस समय खेलमय है। चंद दिनों पहले ही फ़्रांस आम चुनाव में व्यस्त था। वो भी ऐसा चुनाव, जिसने देश को दो धुर विरोधी विचारों में बाँट दिया था। जनसामान्य को चुनाव के मूड से बाहर ला कर खेलों से जोड़ना आसान काम नहीं था। शहर को खेलमय बनाने का एक कारण ओलंपिक मशाल की रिले दौड़ भी है। यह ओलंपिक की गौरवशाली परम्परा है। हर ओलंपिक खेल की मशाल ग्रीस के ओलंपिया से ही प्रज्वलित की जाती है। ओलंपिक मशाल की रिले दौड़ ने यह कर दिया।

इस बार ओलंपिक की मशाल को 16 अप्रैल को परंपरागत रूप से ग्रीस के ओलंपिया में सूर्य की किरणों के साथ प्रज्वलित किया गया। इस मशाल को जहाज़ से मेडिटेरियन समुद्र पार कर फ़्रांस में मर्सेल लाया गया। फ़्रांस में 68 दिनों में इस मशाल ने गाँव-गाँव - शहर-शहर यात्रा की पुरातात्विक धरोहरों- उद्योग, कला, संस्कृति और विज्ञान से जोड़ा। इनमें मशाल ऐसे क्षेत्रों से भी निकाली गई जहाँ आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग रहता है। मशाल जहां उद्योग, व्यापार, विनियार्ड से लेकर म्यूज़ियमों और मशहूर चित्रकारों की दीर्घाओं से गुजरी वहीं उसने स्टेडियम, ट्रैक्स और क्लब्स में भी हाज़िरी लगाई।

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24 जुलाई की शाम हमें भी मौक़ा मिला ओलंपिक मशाल की इस रोमांचक यात्रा को निकट से देखने का। ‘ला डिफ़ेंस‘ पेरिस के पश्चिमी भाग में एक व्यावसायिक क्षेत्र है। यहाँ आधुनिक फ़्रांस का एक महत्वपूर्ण मोनूमेंट ‘आर्क ला डिफेंस‘ बना है। 110 मीटर ऊँचे इस विशाल मेहराब का निर्माण 1989 में किया गया। इस खूबसूरत स्ट्रक्चर के बीचोबीच सीढ़ियाँ बनी हैं और सामने है एक बड़ा मैदान। यह मैदान आधुनिक इमारतों से घिरा है। इन इमारतों में हमारे बीकेसी की तरह कॉर्पोरेट ऑफिस है। इन्हीं इमारतों में एक ‘ला डिफेंस एरीना’ है जहां ओलंपिक तैराकी प्रतियोगिता होगी। 

आइफ़िल टॉवर्स पर हमने तय किया कि मशाल रैली को देखा जाये। विभिन्न वेबसाइट टटोलने पर जानकारी मिली कि हम ला डिफेंस अर्क पर होने वाले समारोह में पहुँच सकते हैं। पेरिस ओलंपिक के टिकट काफ़ी महँगे हैं। सभी महीनों पहले ही बुक हो चुके हैं। लेकिन फ़्रांस सरकार ऐसे कई आयोजन कर रही है जिनमें प्रवेश निःशुल्क है। ला डिफेंस एरीना की इवेंट भी कुछ ऐसी ही इवेंट थी। यदि आप यूरोप के शहरों में घूम रहे हैं तो एक ऐप अपने फ़ोन पर ज़रूर डाउनलोड करें। ये है- ’सिटी मैपर‘।

इन दिनों आइफ़िल टॉवर्स को सबसे ज्यादा सुरक्षा दी गई है। हमारे यहाँ एरिया सुरक्षित करने के मायने है कि प्रवेश ही बंद कर दिया जाये। लेकिन आइफ़िल टावर में आप प्रवेश कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको टिकट लेना होगा। यह टिकट मुफ़्त है, लेकिन इसके लिए आपको क्यूआर कोड पर क्लिक कर उनकी वेबसाइट पर अपनी जानकारी देनी होगी। आमतौर पर आइफ़िल टॉवर्स के आसपास आप निश्चिंत घूम सकते हैं लेकिन इस बार हमें उसके ठीक नीचे ही जाने दिया गया जहां से लिफ्ट ले कर आप ऊपर जा सकते हैं। 
paris olympic opening cecemony and french city - Satya Hindi

आइफ़िल टॉवर्स से ला डिफेंस जाने के लिए सिटी मैपर ने हमें दो ऑप्शंस दिये। या तो 16 मिनट चलकर इको मिलिशिया स्टेशन से मेट्रो लें और फिर एक मेट्रो चेंज कर ला डिफेंस पहुँचें। अन्यथा 25 मिनट चलकर फ़्रेंकलिन रूज़वेल्ट स्टेशन तक पैदल जायें और वहाँ से मेट्रो 1 लेकर सीधे ला डिफेंस जायें। हमने दूसरा ऑप्शन चुना। 

ला डिफेंस स्टेशन किसी व्यस्त मॉल सा स्टेशन है। यहाँ ढेरों दुकानें हैं और लगता है ज़्यादा महँगा मार्केट नहीं है। प्लेटफार्म से उतरकर ला डिफेंस आर्क तक पहुँचने में कोई परेशानी नहीं हुई। फ़्रेंच नहीं जानते हुए भी आप केवल साइन बोर्ड्स को फॉलो कर आसानी से पहुँच सकते हैं। जब हम ला डिफेंस एरीना पहुँचे उस समय शाम के साढ़े पाँच बजे थे जबकि कार्यक्रम के अनुसार मशाल को शाम सात बजे यहाँ पहुँचना था। सिक्योरिटी भी शायद हमारा ही इंतज़ार कर रही थी। हम पहुँचे और सबको पहले बैरिकेड से क्लोज बैरिकेड की ओर जाने का इशारा किया। बैग की हल्की फुलकी चेकिंग कर हमें छोड़ दिया गया।

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पूर्व ओलंपिक चैंपियन (क्षमा, न तो फ़्रेंच उद्घोषणा में मैं उनका नाम पकड़ पाया, न ही एकदम निकट से देखकर भी पहचान पाया) मशाल लेकर आयीं। उनके साथ बच्चे थे, कुछ शौक़िया धावक और कुछ स्पॉन्सर कंपनी के धावक। इसके अलावा कई देशों के राजनयिक भी उपस्थित थे। बेहतरीन एंकर, जिसने वहाँ मौजूद हज़ारों लोगों को इंगेज रखा। हम सारे जो बग़ैर किसी टिकट के केवल ओलंपिक प्रेमी के रूप में थे, संतुष्टि के साथ वहाँ से लौटे। लौटते समय मैं यही सोच रहा था कि हमारे सारे दिव्य भव्य आयोजनों से आप और हमारे जैसे सामान्य नागरिक क्यों नदारद होते हैं?

  

(आशुतोष देशमुख वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं। वे लंबे समय से खेल पर लिखते रहे हैं और कमेंट्री भी करते रहे हैं।)
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आशुतोष देशमुख
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