सर्बिया जैसे देश का अकेला शख्स ऑस्ट्रेलिया, वहाँ की सरकार और प्रधानमंत्री से भिड़ गया है। चौंकिए नहीं! यह शख्स भी कोई मामूली व्यक्ति नहीं है। वह दुनिया के नंबर वन रैंकिंग वाले टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच हैं। दुनिया भर के सबसे नामचीन खिलाड़ियों में से एक। वह मेलबर्न में ऑस्ट्रेलियाई ओपन में हिस्सा लेने चले गए। लेकिन मेलबर्न एयरपोर्ट पर ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया में घुसने से रोक दिया। वह भी इसलिए कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई थी। इसके लिए उन्हें इसके सबूत दिखाने को कहा गया कि उन्हें बिना वैक्सीन लगाए ही ऑस्ट्रेलिया में आने की छूट कैसे मिली।
भारत में बिना वैक्सीन के, बिना मास्क के और बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के हज़ारों लोगों की चुनावी रैलियों को देखने को अभ्यस्त लोगों के लिए नोवाक जोकोविच का यह मामला हैरतअंगेज लग सकता है! न्यूज़ीलैंड जैसे देश में जहाँ प्रधानमंत्री के जन्मदिन की पार्टी में परिवार के सिर्फ़ नौ लोगों के इकट्ठे होने पर प्रधानमंत्री पर जुर्माना लगाया जाता है, वहाँ के लोगों के लिए यह शायद हैरतअंगेज नहीं हो!
कल्पना कीजिए! दुनिया के सबसे ताक़तवर खिलाड़ियों में शुमार नोवाक जोकोविच ने बुधवार को पूरे दिन दुबई से ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की, मेलबर्न हवाई अड्डे पर पहुँचते ही अधिकारियों ने उन्हें कह दिया कि उल्टे पैर अगली फ्लाइट से आप वापस चले जाइए। लेकिन जोकोविच भी अड़ गए। सरकारी अधिकारियों के साथ 10 घंटे के गतिरोध के बाद गुरुवार को उन्हें बताया गया कि उन्हें देश छोड़ने की आवश्यकता होगी। खुद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कह दिया कि उन्हें अगली फ्लाइट से वापस जाना होगा।
लेकिन, जोकोविच ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार और प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के ख़िलाफ़ अदालत में चुनौती दे दी।
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद एक सरकारी वकील ने गुरुवार को एक अदालत की सुनवाई में कहा, क्योंकि जोकोविच इमिग्रेशन डिटेंशन में हैं इसलिए उन्हें तुरंत निर्वासित नहीं किया जाएगा।
राज्य के वकील क्रिस्टोफर ट्रान ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने सोमवार को होने वाली अंतिम अदालत की सुनवाई से पहले उन्हें निर्वासित करने की योजना नहीं बनाई है।
जानिए क्या है विवाद?
ऑस्ट्रेलिया में नियम यह है कि किसी विदेशी को देश में आने पर कोरोना टीकाकरण का सबूत दिखाना होता है। यदि किसी ने टीकाकरण नहीं करवाया हो तो उसे इसका सबूत देना होता है कि उसे इस नियम से छूट दी गई है। लेकिन सर्बियाई खिलाड़ी जोकोविच ने टीका नहीं लगवाया है। समझा जाता है कि 20 बार के ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट चैंपियन जोकोविच को ऑस्ट्रेलियन ओपन के लिए अनुमति मिलने वाली थी।
रिपोर्ट के अनुसार बुधवार से कुछ घंटे पहले ही उन्हें ऑस्ट्रेलियाई ओपन में खेलने के लिए विशेष अनुमति मिली और फिर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़ान भरी। इस ख़बर के बाद ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों, मीडिया, नागरिकों ने इस पर सवाल उठाना शुरू किया कि किस आधार पर उन्हें बिना टीका लगाए ही देश में आने की छूट दी गई है। इसमें प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भी शामिल हो गए। उन्होंने भी जोकोविच को देश से वापस जाने के लिए कह दिया।
इसके बाद सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक भी इस विवाद में शामिल हो गए। उन्होंने जोकोविच का साथ दिया और ऑस्ट्रेलियाई सरकार की इसके लिए आलोचना की।
अब यह मामला दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी और सबसे ताक़तवर देशों में से एक ऑस्ट्रेलिया के बीच भिड़ंत के रूप में सामने आया। ऑस्ट्रेलिया इससे झुकने को तैयार नहीं है और कहा जा रहा है कि देश में सबके लिए क़ानून बराबर है। ऑस्ट्रेलिया वह देश है जहां टेनिस सबसे प्रिय खेलों में से एक है और जहाँ इस खेल के प्रति लोगों की दिवानगी असीम है।
जोकोविच विज्ञान और चिकित्सा के बारे में अपने गैर-परंपरागत विचारों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इसके बारे में खुलकर बातें भी रखी हैं। एक बार उन्होंने इस विचार के समर्थन में आवाज़ उठाई थी कि प्रार्थना और विश्वास जहरीले पानी को शुद्ध कर सकते हैं।
जोकोविच ने कई मौक़ों पर वैक्सीन मैनडेट यानी टीका को ज़रूरी किए जाने का विरोध किया था और कहा था कि टीकाकरण एक निजी और व्यक्तिगत निर्णय है जो अनिवार्य नहीं होना चाहिए।
बहरहाल, ऑस्ट्रेलियाई सीमा बल ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि जोकोविच ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश करने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सबूत देने में विफल रहे और उनका वीजा बाद में रद्द कर दिया गया।
बता दें कि मंगलवार को उन्होंने घोषणा की थी कि उन्हें इस आवश्यकता से चिकित्सा छूट मिली है कि ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को टीका लगाए होना चाहिए या फिर आगमन पर 14 दिनों के लिए क्वारेंटीन किया जाए। इसके बाद ही वह दुबई से ऑस्ट्रेलिया जाने वाले विमान में सवार हुए थे।
इसको लेकर टेनिस ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि जोकोविच की छूट विक्टोरिया के स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र पैनल द्वारा दी गई थी। हालाँकि, विक्टोरिया के अधिकारियों ने अब साफ़ किया है कि विदेश मामलों में केंद्रीय क़ानून ही मान्य है।
अब यह मामला कोर्ट में चला गया है और अदालत से फ़ैसला आने के बाद ही यह तय होगा कि जोकोविच घर वापस लौटेंगे या फिर ऑस्ट्रेलियाई ओपन में भाग लेंगे। वह अब तक 9 बार यह टाइटल जीत चुके हैं। तो क्या 10वीं बार जीतने के लिए उन्हें मौक़ा मिल पाएगा?
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