आईपीएल में रोहित शर्मा और मुंबई इंडियंस से ज़्यादा 5 ट्रॉफी ना तो किसी कप्तान ने और ना ही किसी टीम ने जीती है। लेकिन, आईपीएल में एक सीज़न में लगातार 8 मैच हारने का रिकॉर्ड भी किसी टीम ने नहीं बनाया है। ये रिकॉर्ड भी रोहित और मुंबई के नाम है। कितनी अजीब सी बात है ना कि आईपीएल में आपको एक ही टीम और कप्तान के दो अलग-अलग तरीके के आंकड़े देखने को मिल जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की पराक्रमी टीम जैसे कि 70-80 के दशक की वेस्टइंडीज़ या फिर 1995 से 2005 वाले दौर की ऑस्ट्रेलियाई टीम, को कभी भी 8-0 से हार का सामना नहीं करना पड़ा।
रोहित की इस सीज़न में नाकामी से ये तर्क ज़ोर पकड़ने लगा है कि कप्तान नहीं बल्कि टीमों का गेंदबाज़ी आक्रमण तय करता है कि उनका दबदबा कैसा रहेगा। आखिर रोहित वही कप्तान हैं जिन्होंने विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद टीम इंडिया की कप्तानी ली है और हर फॉर्मेट में वो एक भी मैच नहीं हारे हैं।
टीम इंडिया के लिए लगातार 14 मैच जीतने वाले रोहित मुंबई के लिए लगातार 8 मैच हार चुके हैं। इसका मतलब तो ये नहीं कि देश के लिए रोहित लाजवाब कप्तान हैं और मुंबई के लिए साधारण कप्तान।
इसे महज़ इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि रोहित को मुंबई इंडियंस की धाकड़ कप्तानी करने के चलते ही आखिरकार टीम इंडिया की कमान मिली थी। लेकिन, समय का चक्र देखिये कि जब रोहित को बल्लेबाज़ और कप्तान के तौर पर अपने सबसे बेहतरीन दौर में होना चाहिये, वो जूझते हुए दिखाई दे रहे हैं।
कोच राहुल द्रविड़ को रोहित की मायूसी और झुंझलाहट भरा चेहरा परेशान कर रहा होगा क्योंकि कुछ ही महीने बाद रोहित को इंग्लैंड के मुश्किल दौरे पर जाना है और फिर ऑस्ट्रेलिया में टी 20 वर्ल्ड कप भी खेलना है।
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रोहित की जब भी कप्तानी की तारीफ होती थी तो अक्सर उनकी तुलना महेंद्र सिंह धोनी से की जाती थी। कहा ये जाता था कि जैसे धोनी अपना संयम रखतें हैं और हमेशा एक लीडर की तरह दिखाई देते हैं, रोहित में भी वही गुण हैं। यहां पर विराट कोहली की कप्तानी को अक्सर आड़े हाथों लिया जाता था। वो आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की हार के बाद अक्सर परेशान और खीजने वाली मुद्रा में दिखाई देते थे। अब उसी मुद्रा में रोहित दिखायी देते हैं। वो खुले-आम मैदान पर अपने विकेटकीपर ईशान किशन को लताड़ रहें होतें है तो कई मर्तबा फील्डर से गलती होने पर उन्हें चिढ़ाने वाले अंदाज़ में तालियां भी बजाते दिखाई देतें हैं। ऐसा रोहित शर्मा को इससे पहले शायद ही किसी ने देखा हो।
डेनियल सैम्स से जब गेंदबाज़ी में चूक हुई तो रोहित का गुस्सा साफ दिख रहा था और यहां तक इस सीज़न ब्राडकास्टर के साथ मैच के बाद इटंरव्यू से ठीक पहले रोहित ख़राब मूड में भी नज़र आये। वो विडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई।
अब आप सोचिये कि रोहित की तरह विराट भी जब टीम इंडिया की कप्तानी करते थे तो वो एक अलग ही कप्तान दिखते थे क्योंकि उनके पास ईशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव, मोहम्मद सिराज, रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन जैसे बेहद शानदार गेंदबाज़ थे जो किसी भी टीम को ध्वस्त कर सकते थे।
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आईपीएल का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि चेन्नई सुपर किंग्स को छोड़कर शानदार खेल दिखाने वाली टीमों की कामयाबी की असली वजह गेंदबाज़ी आक्रमण में पैनापन होना है। इसलिए ये बेहद हैरान करने वाली बात रही कि इस साल के मेगा-आक्शन में मुंबई ने अपना पूरा दांव ईशान किशन जैसे बल्लेबाज़ पर क्यों लगा दिया? उसके बाद जो बची-खुची बड़ी रकम थी वो जोफ्रा आर्चर पर लुटा दी, ये भली-भांति जानते हुए कि 2022 में वो एक भी मैच नहीं खेलेंगे और 2023 की गारंटी भी नहीं।
पारंपरिक तौर पर बायें हाथ का एक तेज़ गेंदबाज़ दूसरे छोर से अक्सर जसप्रीत बुमराह को ज़बरदस्त मदद देता था। मिचेल मैकक्कलेघन और ट्रैंट बोल्ट जैसे न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों ने लंबे समय तक मुंबई इंडियंस को बेहद मज़बूत गेंदबाज़ी आक्रमण बने रहने में अहम भूमिका निभायी। अब वही बोल्ट राजस्थान के लिए मैच-विनर साबित हो रहें हैं।
मुंबई के पास ना तो हार्दिक पंड्या है और ना ही क्रुनाल पंड्या जो ना सिर्फ अपनी गेंदबाज़ी से विविधता देते थे बल्कि बल्ले से भी तेज़ी से रन बनाते थे। मुंबई इस बात को भी समझने में नाकाम रही कि केरान पोलार्ड का दौर ख़त्म हो चुका है।
लेकिन, बात सिर्फ यहां रोहित की नहीं है बल्कि टीम इंडिया की भी है। बल्लेबाज़ के तौर पर रोहित थके हुए दिख रहें हैं और विराट कोहली की तरह उन्हें भी तुरंत एक लंबा ब्रेक चाहिए। लेकिन, बिल्ली के गले में घंटी बांधे तो बांधे कौन?
बीसीसीआई चाहकर कर भी टीमों को ये निर्देश नहीं दे सकती कि वो रोहित-कोहली को आराम दें और टीमें भी अपने स्टार खिलाड़ियों को एक मैच के लिए भी नहीं छोड़ सकती हैं भले ही खिलाड़ी चाहे कितने ही ख़राब दौर से गुज़र रहा हो। कुल मिलाकर, इस आईपीएल में चैंपियन कोई भी टीम बने, इसका साइड-इफेक्ट हो सकता है और आने वाले कुछ महीनों में टीम इंडिया के वर्ल्ड कप प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है।
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