विराट कोहली को टेस्ट मैचों में हारने की आदत नहीं है। भारत के सबसे कामयाब टेस्ट कप्तान को घरेलू सीरीज़ के पहले मैच में हारने की आदत तो और भी नहीं है क्योंकि इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चेन्नई टेस्ट से पहले वो सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पुणे टेस्ट (2017) में सीरीज़ का पहला टेस्ट हारे थे। आख़िर, हार और जीत तो क्रिकेट का हिस्सा है और अगर भारतीय टीम एक दशक में सिर्फ़ चौथा टेस्ट अपनी ज़मीं पर हारी तो इस पर बहुत ज़्यादा बवाल नहीं मचाया जा सकता है।
क्या कोहली की जगह रहाणे को टेस्ट कप्तान बनाना चाहिए?
- खेल
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- 11 Feb, 2021

एडिलेड टेस्ट में हार के बाद कोहली ने पुजारा की बल्लेबाज़ी शैली को बिना नाम लिए आड़े हाथों ले लिया था। लेकिन, बाद में पुजारा की उसी शैली ने भारत की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई। यह ठीक है कि चेन्नई में शाबाज़ नदीम और वाशिंगटन सुंदर ने अच्छा खेल नहीं दिखाया लेकिन दो युवा खिलाड़ियों को हार के बाद कोसना इतने बड़े कप्तान को शोभा देता है क्या?
चेन्नई की हार से कोहली के अहं को धक्का!
लेकिन, कोहली के लिए यह हार उनके अहं को धक्का देने वाली हार है। ऑस्ट्रेलिया में उनकी ग़ैर-मौजूदगी में एक नई-नवेली टीम ने अंजिक्य रहाणे की कप्तानी में इतिहास रच दिया। उसके बाद इंग्लैंड को यहाँ हराना तो महज़ औपचारिकता माना जा रहा था। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि जिस वक़्त कोहली को घर में सबसे ज़्यादा एक जीत की तलाश थी, वहीं क़िस्मत उन्हें धोखा दे रही है। चेन्नई में भारत पिछले 22 सालों में कभी नहीं हारा था और इस मैदान पर इतने लंबे अर्से बाद टीम इंडिया का सामना हार से हुआ।