टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम कांस्य पदक नहीं जीत पाई, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने कराड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया। ग्रेट ब्रिटेन के सामने हारीं तो क्या, लेकिन ग़ज़ब का खेल दिखाया। आख़िरी वक़्त तक टक्कर देती रहीं। वे कांस्य पदक नहीं जीत पाईं तो क्या उन्होंने सेमीफाइनल में प्रवेश कर पहले ही इतिहास में नाम दर्ज करा लिया था। भारतीय महिला हॉकी टीम इस बार पहली बार सेमीफाइनल में क्वालिफाई किया था।
ग्रेट ब्रिटेन ने मैच के आख़िर में भारत के ख़िलाफ़ 4-3 से मुक़ाबला जीत लिया। ग्रेट ब्रिटेन द्वारा शुरुआती बढ़त हासिल करने के बाद भी भारतीय टीम ने शानदार वापसी की और एक समय तो बढ़त भी बना ली थी। हाफ टाइम से ठीक पहले वंदना कटारिया ने गोल दागकर भारत की बढ़त को 3-2 कर दिया। लेकिन बाद में ग्रेट ब्रिटेन की टीम ने एक के बाद एक दो गोल कर विजयी बढ़त बना ली।
So near, yet so far. 💔
— Hockey India (@TheHockeyIndia) August 6, 2021
We go down fighting against Great Britain in our Bronze Medal match. #GBRvIND #HaiTayyar #IndiaKaGame #Tokyo2020 #TeamIndia #TokyoTogether #StrongerTogether #HockeyInvites #WeAreTeamIndia #Hockey pic.twitter.com/PlaYx8MrY9
इससे पहले भारत और अर्जेंटीना के बीच हुए हॉकी के सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में भारत को शिकस्त मिली थी। भारत की महिला टीम ने जमकर टक्कर दी लेकिन आख़िर में अर्जेंटीना ने भारत को 2-1 से हरा दिया था। इसके बाद तय हो गया था कि भारतीय टीम कांस्य पदक के लिए ब्रिटेन से भिड़ेगी।
इससे पहले भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में जगह बना कर इतिहास रच दिया। भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहली बार ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया था। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर यह उपलब्धि हासिल की थी। भारत की ओर से गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में गोल दागा था।
पुरुष हॉकी टीम भी सेमीफाइनल में पहुँची थी
बता दें कि इस बार टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में चार दशक बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम भी पहुँची थी, लेकिन वह बेल्जियम से 2-5 से हार गई थी। इसके बाद पुरुष हॉकी टीम कांस्य पदक के लिए जर्मनी की टीम से भिड़ी थी। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया। पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कोई पदक जीता है। भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मॉस्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था, लेकिन तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुक़ाबला हुआ था।
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