भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय बांगर ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज़ डीन जोंस के निधन के बाद टीवी पर कॉमेंट्री के दौरान एक दिलचस्प बात कही- जोंस अक्सर अंग्रेज़ी में H का जिक्र तीन संदर्भ में करते थे। HEROES, HAPPINESS और HARDSHIP
पिच पर चीते की तरह भागने वाले जोंस ज़िदगी की रेस में रन-आउट क्यों हो गये?
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- 25 Sep, 2020

1984 से लेकर 1994 तक के एक दशक के वन-डे करियर ने जोंस को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दी। औसत और स्ट्राइक रेट अगर दोनों को मिलाकर उस दौर के बल्लेबाज़ों का आकलन किया जाए तो जोंस सिर्फ महान विव रिचर्ड्स से ही उन्नीस थे। रिचर्ड्स की ही तरह जोंस ने वन-डे क्रिकेट में अपनी एक अलग छवि बनायी।
एक कोच के तौर पर जोंस अक्सर युवा खिलाड़ी से यही सवाल करते थे कि उनके हीरो कौन हैं, उन्हें किस बात से खुशी मिलती है और ज़िंदगी में उन्होंने किस तरह की तकलीफें झेली हैं। बहरहाल, इस बात में शायद ही दो राय हो कि एक क्रिकेटर के तौर पर दुनिया भर में कई युवा खिलाड़ियों के लिए वो हीरो थे। ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रेलिया से बाहर भी।