आईपीएल 2020 में अब तक मुंबई इंडियंस ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में वही धाकड़ खेल दिखाया है तो दिल्ली कैपिटल्स की टीम पिछले साल की तरह इस साल भी बेहद संतुलित टीम दिख रही है। बैंगलोर और कोलकाता का खेल भी पिछले कई सालों की तरह उतार-चढ़ाव वाला रहा है। पंजाब फिर से फिसड्डी ही दिख रही है तो राजस्थान और हैदराबाद अपने खिलाड़ी-विशेष के असाधारण खेल के बूते नाटकीय जीत हासिल करने की कोशिश करते दिख रहें हैं। लेकिन, इन सभी टीमों के बीच अगर सबसे अधिक चर्चा हो रही है तो वो है चेन्नई सुपर किंग्स की। ये भारतीय क्रिकेट के सबसे दुलारे महेंद्र सिंह धोनी की टीम है।
लेकिन, चेन्नई की टीम ने पहले 2 हफ्ते में अपनी साख के बिल्कुल विपरीत खेल दिखाया है। जिस टीम को स्थिरता का आदर्श माना जाता है उसके नतीजों में निरंतरता की साफ़ कमी दिख रही है। जो टीम जीत के लिए किसी खिलाड़ी विशेष के करिश्मे पर निर्भर नहीं करती थी वो हर मैच में किसी एक से शानदार खेल की उम्मीद करती है। जिस टीम ने आख़िरी बार लगातार 3 मैच 2014 में गंवायें थे, वो इस बार एक बार ऐसी स्थिति से गुज़र चुकी है (अभी तक)।
लेकिन, इन सबके बीच अगर सबसे गंभीर सवाल कोई है तो वो यह कि क्या धोनी का जादू ख़त्म हो गया है? कप्तान के तौर पर भले ही हमें शायद थोड़ा इंतज़ार करना पड़े लेकिन फिनिशर के तौर पर निश्चित तौर से और बल्लेबाज़ के तौर पर भी धोनी के खेल में एक ऐसी गिरावट आयी है जो आपको सचिन तेंदुलकर और कपिल देव जैसे दिग्गजों के आख़िरी सालों के संघर्ष की यादें ताज़ा कर दे।
ताज़ा उदाहरण कोलकाता के ख़िलाफ़ बुधवार को दिखा जब धोनी एक बार फिर से अपनी टीम को जीता हुआ मैच हरवा आये। यक़ीन नहीं होता है कि इस खिलाड़ी ने आईपीएल में सुनील नरेन को आज तक चौका नहीं लगाया है!
आईपीएल में धोनी की महानता का ज़िक्र करने के समय जानकार इस बात को आसानी से भूला देते हैं कि जब भी भारत से बाहर आईपीएल का आयोजन हुआ है (2009 और 2014 में) धोनी की चेन्नई फ़ाइनल तक नहीं पहुँच पायी है। तमाम कामयाबी के बावजूद एक सच यह भी है कि अगर चेन्नई का मैदान सुपर किंग्स का घरेलू मैदान नहीं होता तो क्या हर बार यह टीम अंतिम 4 में पहुँच पाती? यह तो सबसे ज़्यादा 4 बार ट्रॉफ़ी जीतने वाली मुंबई इंडियंस ने भी नहीं किया है।
जिस तरह से आज के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थोड़ी सी भी आलोचना करने से लोग आपसे बहुत नाराज़ हो सकते हैं ठीक उसी तरह से धोनी की कप्तानी शैली पर सवाल उठाकर तमाम क्रिकेट फैंस आप पर टूट सकते हैं।
धोनी ने आईपीएल में ख़ुद के लिए और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए एक ऐसी विरासत तैयार कर दी है जिसकी बराबरी करना किसी दूसरे टीम के लिए या किसी और खिलाड़ी के लिए शायद मुमकिन नहीं हो लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि आप धोनी जैसे चैंपियन को इस तरह से जूझते हुए मैदान से बाहर नहीं जाते देख सकते हैं। यह विडंबना थी कि चीते की फुर्ती से भागने वाले धोनी की वन-डे क्रिकेट में आख़िरी पारी रन आउट थी जिसके बाद भारत ना सिर्फ़ सेमी-फ़ाइनल हारा बल्कि वर्ल्ड कप जीतने का उसका एक और मौक़ा भी ख़त्म हो गया।

2020 में आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस हैं जिन्हें 15.5 करोड़ का क़रार कोलकाता से मिला है। आप अंदाज़ा लगा लीजिए कि 2008 में ही धोनी को हर क़ीमत में टीम में शामिल करने के लिए एन श्रीनिवासन ने 9.5 करोड़ का दाँव खेला था। झारखंड के हिंदी भाषी लड़के का तमिलानाडु का थाला बनना अपने आप में भारतीय खेल का नहीं बल्कि भारतीय इतिहास का एक रोमांचक अध्याय है लेकन शायद अब खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर धोनी स्लॉग ओवर्स या टी20 की शब्दावली में डेथ ओवर्स (आख़िरी 5 ओवर्स) में प्रवेश कर चुके हैं।
धोनी के एक और आईपीएल ट्रॉफी जीतने से ना तो उनके सीवी पर कोई ख़ास असर पड़ेगा और ना ही प्ले-ऑफ़ में नहीं पहुँचने पर श्रीनिवासन नाराज़ होंगे क्योंकि उन्होंने पहले ही एलान कर दिया है कि धोनी जब तक चाहें कप्तान बन रह सकते हैं, खेल सकते हैं। लेकिन, बल्लेबाज़ धोनी के लिए पारी दर पारी अपने ख़ुद के संघर्ष को झेलना आसान नहीं होगा।
टेस्ट, वन-डे और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के मामले में धोनी ने हमेशा अपने फ़ैसलों से हर किसी को चौंकाया है। क्या ऐसा ही कुछ उनके आईपीएल करियर में भी होगा?
अपनी राय बतायें